महाशिवरात्रि को लेकर शिव मंदिरों में तैयारी अंतिम चरण में है। एक तरफ जहां भगवान शिव की बारात निकालने के लिए झांकियां सजाई जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जा रहा है। बाबा गरीबनाथ मंदिर के पट लगातार 32 घंटे खुले रहेंगे। प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने बताया कि सोमवार तड़के 4 बजे मंदिर प्रशासन की ओर से पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के लिए 4:30 बजे पट खुल जाएगा, जो मंगलवार की दोपहर 12 बजे बंद होगा। इस बीच रात्रि 11:30 बजे बाबा का महाशृंगार बेलपत्र व पुष्पों से किया जाएगा। इस वर्ष सोमवार को महाशिवरात्रि होने के कारण शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ अन्य वर्षों से भी अधिक होने का अनुमान है। इसे ध्यान में रखते हुए बाबा गरीबनाथ मंदिर प्रशासन ने बड़ी तादाद में स्वयंसेवकों की तैनाती की व्यवस्था की है। मंदिर के मुख्य द्वार से गर्भगृह तक करीब 500 वॉलंटियर जलाभिषेक में मदद करेंगे। आसानी से श्रद्धालु बाबा का जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए सड़क से मंदिर तक बैरिकेडिंग की गई है। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं।

झांकी में आतंकवाद का खात्मा करते दिखेंगे भगवान शिव | गोला स्थित रामभजन बाजार आश्रम से भगवान शिव की 49वीं बारात निकालने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इसके लिए करीब 76 झांकियां तैयार की गई हैं। इस बार शोभा यात्रा में भगवान शिव खासतौर पर आतंकवादियों का खात्मा करते दिखेंगे। इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती का हिमालय पर तपस्या करती व वरमाला पहनाती झांकियां भी होंगी। अष्टभुजी मां दुर्गा, भैंसे पर यमराज, गरूड़ पर विष्णु, रथ पर ब्रह्मा, हाथी पर इंद्र भगवान के साथ-साथ भूत-पिशाच, हाथी-घोड़े-ऊंट व शिव के गण की झांकियां बारात में शामिल होंगी। 14 बैंड बाजे, 20 रथ, 12 डीजे के साथ बारात निकलेगी।

इन रूटों से गुजरेगी शिव की बारात| गोला स्थित श्रीराम भजन बाजार आश्रम से दोपहर 2 बजे भगवान शिव की बारात निकलेगी। बाबा गरीबनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद सोनारपट्टी के रास्ते पुरानी बाजार, प्रभात सिनेमा रोड, छोटी कल्याणी, दीवान रोड होते हुए बड़ी कल्याणी, मोतीझील, पुरानी धर्मशाला, इस्लामपुर, सूतापट्टी, कंंपनीबाग, सरैयागंज के रास्ते पुन: श्रीराम भजन आश्रम लौटेगी।

जलाभिषेक के लिए हुई बैरिकेडिंग, 500 सेवा दल की रहेगी तैनाती

51 वर्षों के बाद अद्भुत संयोग, श्री विक्रमादित्य चतुर्मुख महादेव के पूजन से एक साथ त्रिदेव व भगवान भास्कर की पूजा का लाभ

वैशाली के कम्मन छपरा स्थित श्री विक्रमादित्य चतुर्मुख महादेव के पूजन से एक साथ त्रिदेव व भगवान भास्कर की पूजा का लाभ मिलता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर 51 वर्षों के बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। सर्वसिद्धि योग में पूजा विशेष फलदायी होगी। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित काले पत्थर के चतुर्मुखी महादेव देश के वृहद शिवलिंगों में से एक है। यहां पर दक्षिणामुखी महादेव की मुखाकृति है। मुखाकृति में त्रिनेत्र है। मान्यता है कि दक्षिणामुखी भगवान शिव का त्रिनेत्र तांत्रिक साधना के लिए होता है। साथ ही पूर्वाभिमुख भगवान विष्णु व पश्चिमाभिमुख ब्रह्मा व उत्तराभिमुख भगवान भास्कर की मुखाकृति विराजमान है।

विधि व्यवस्था सुचारु रखने को दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त| महाशिवरात्रि पर सोमवार पर जिले में विधि व्यवस्था सुचारु करने के लिए दंडाधिकारियों के साथ पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। डीएम आलोक रंजन घोष व एसएसपी मनोज कुमार ने संयुक्त आदेश देते हुए जिले के पूर्वी अनुमंडल में 70 तो पश्चिम अनुमंडल में 94 दंडाधिकारियों के साथ पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है। बाबा गरीबनाथ मंदिर के अलावा बाबा दूधनाथ मंदिर छपरा मेघ, बाब भैरोंनाथ मंदिर औराई व बाबा खगेश्वरनाथ मंदिर मतलुपुर में तीन मार्च की सुबह छह बजे से पांच मार्च की रात दस बजे तक के लिए दंडाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों के साथ विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सशस्त्र पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा जिले में आधा दर्जन सेक्टर दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति भी हुई है। पीआईआर स्थित जिला नियंत्रण कक्ष में तीन पालियों में वरीय अधिकारियों की तैनाती की गई है।

चक्र में है शिवलिंग, लिखी गई लिपि प्राचीन| विक्रमादित्य चतुर्मुखी महादेव के संबंध में मंदिर के मुख्य ट्रस्टी हरिहर प्रसाद सिंह बताते हैं कि गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग संभवतः ईशा का पूर्व है। शिवलिंग अरघा के बदले चक्र में स्थापित है। यह सृष्टि का परिचायक है। चक्र में लिखी लिपि नहीं पढ़ी जा सकी है। संभवतः लिपि खरोटी है। प्राचीन लिपि के जानकार इस शिवलिंग को ईशा पूर्व का और इक्ष्वाकु वंश द्वारा स्थापित बताते हैं। अब तक की जानकारी में उज्जैन के महाकालेश्वर व काठमांडू में स्थापित पशुपति नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग के अनुरूप ही चतुर्मुखी महादेव मंदिर का शिवलिंग है।

 

भगवान महावीर ने पहला रात्रि विश्राम इस मंदिर में किया था | तिब्बती साहित्य के अनुसार, विक्रमादित्य चतुर्मुखी महादेव मंदिर में कोर भट्टक नामक एक नाग साधु रहते थे, जो अपने तप से ईश्वरीय शक्ति प्राप्त कर जन मानस का सहयोग करते थे। जैन मान्यता के अनुसार, त्रिशला पुत्र भगवान महावीर ने बाल्यकाल में ही राज सुख छोड़ सत्य व शांति की खोज में गृहत्याग किया था। उन्होंने पहला रात्रि विश्राम कर्मकार गांव के चैत अभी के कम्मन छपरा स्थित विक्रमादित्य चतुर्मुखी महादेव मंदिर में किया था।

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विक्रमादित्य ने मंदिर का कराया था पुनर्निर्माण | मंदिर के कई बार विध्वंस और निर्माण की बात बताई जाती है। विध्वंस के बाद चक्रवर्ती सम्राट राजा विक्रमादित्य ने मंदिर का पुनः निर्माण कराया था। 80 के दशक के बाद कृषि कार्य में उत्खनन में मिले शिवलिंग पर अब भव्य मंदिर का निर्माण मंदिर के ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। मंदिर को मुगल शासक ने जमींदोज कर दिया था।

Input : Dainik Bhaskar

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