मोकामा से राजद के विधायक बाहुबली अनंत सिंह के घर से एके-47 और हैंड ग्रेनेड मिलने के मामले में कोर्ट द्वारा 10 साल की सजा सुनाए जाने के कारण विधानसभा ने गुरुवार को उनकी विधायकी समाप्त किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी। आर्म्स मामले में उन्हें कोर्ट ने 14 जून को ही दोषी करार दिया था इसके बाद 21 जून को एमपी- एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई।
प्रावधान के अनुसार, 2 साल या उससे ऊपर की सजा मिलने के बाद विधायकी समाप्त हो जाती है। विधानसभा ने सजा की तारीख 21 जून से सदस्यता खत्म कर दी है। इसके बाद राजद के पास एक विधायक घट गए यानी राजद के पास 80 विधायक थे लेकिन अब राजद के पास विधायकों की संख्या 79 हो गई है। अनंत मोकामा से लगातार पांच बार से विधायक का चुनाव जीतते रहे।
विधान सभा चुनाव में राजद को 75 सीटे आई थीं
2 सप्ताह पहले राजद ने ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 4 विधायकों को तोड़कर राजद में शामिल करा लिया था इसके बाद राजद के विधायकों की संख्या बढ़कर 76 से 80 पर पहुंच गई थी लेकिन अनंत सिंह की सदस्यता जाने के बाद यह संख्या घटकर 79 हो गई है। हालांकि इसके बावजूद राजद बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बरकरार है।
विधानसभा चुनाव 2020 में राजद के 75 विधायकों की जीत हुई थी इसके बाद बोचाहां उपचुनाव में राजद ने एक सीट जीती जिससे यह संख्या बढ़कर 76 हो गई थी। एआईएमएम के विधायकों को मिलाने के बाद राजद 80 के आंकड़े पर पहुंच गई थी। अनंत सिंह की सदस्यता जाने के बाद यह संख्या 79 पर आ गई। नियमानुसार आगे के किसी कोर्ट यानी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से जब तक कोई फैसला नहीं होता तब तक राज्य स्तरीय कोर्ट का फैसला ही मान्य होता है।
मोकामा सीट से राजद उसी को टिकट देगा जिसे अनंत सिंह चाहेंगे
इसलिए अब चुनाव आयोग इस सीट पर उपचुनाव करा सकता है। मोकामा से राजद किसे उम्मीदवार बनाएगा इसको लेकर कोई संशय नहीं है। राजद के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि अनंत सिंह जिन्हें उम्मीदवार बनाना चाहेंगे वही राजद का उम्मीदवार होगा। मोकामा सीट पर उपचुनाव में राजद की ओर से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी उम्मीदवार हो सकती हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव नीलम देवी ने मुंगेर लोक सभा क्षेत्र से लड़ा था, लेकिन जदयू के ललन सिंह चुनाव जीत गए थे।
अयोग्य होने पर नेताओं ने पत्नी, बेटे को कमान सौंपी
सजायाफ्ता नेताओं ने राजनीति की ताकत अपने पास रखने के लिए अपनी पत्नी, बेटे, भाई को आगे बढ़ाया, इसका पूरा इतिहास ही है। लालू प्रसाद ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था। बाद में दोनों बेटे और बेटी को भी राजनीतिक ताकत दी। फुलपरास विधायक देवनाथ यादव अयोग्य करार दिए गए तो पत्नी गुलजार देवी विधान सभा पहुंची। जहानाबाद सांसद डॉ.जगदीश शर्मा की सदस्यता गई तो पुत्र राहुल शर्मा विधान सभा गए। राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी विधायक बनीं। बलिया से सांसद सूरजभान सिंह आयोग्य करार दिए गए तो पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसद बनीं। उनके भाई नवादा से सांसद बने। प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह छपरा से विधायक हुए। परिहार से रामनरेश यादव की पत्नी गायत्री देवी विधायक बनीं। आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद विधायक और सांसद बनीं। अभी उनके पुत्र चेतन आनंद शिवहर से विधायक हैं।
Source : Dainik Bhaskar