प्रदेश में ईंट-भह्वा खोलने का नियम और कड़ा बना दिया गया है। अब बस्ती, स्कूल, अस्पताल, कोर्ट और सरकारी दफ्तरों के 800 मीटर की परिधि में कोई ईंट-भह्वा नहीं खोला जा सकेगा। यही नहीं ईंठ-भह्वे की नदियों से दूरी भी 500 मीटर होनी चाहिए। ईंट-भह्वे की दूरी नेशनल हाईवे से कम से कम 300 मीटर और स्टेट हाईवे से 200 मीटर को भी अनिवार्य बना दिया गया है। हालांकि, फोर लेन से कम वाले नेशनल हाईवे को इस मापदंड से बाहर रखा गया है। साथ ही रेलवे लाइन से भी उसकी दूरी न्यूनतम 200 मीटर होनी चाहिए। 25 वृक्षों वाले बगीचा के 800 मीटर के दायरे में भी इन्हें स्थापित नहीं किया जा सकेगा। दो ईंट-भह्वों के बीच की दूरी भी कम से कम एक किलोमीटर होनी चाहिए।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा घोषित इको सेंसेटिव जोन, अभयारण्य, नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व एरिया के अलावा केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी) द्वारा घोषित क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल व अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों में तो ईंट-भह्वा स्थापित भी नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखना होगा कि ईंट-भह्वा तकनीकी रूप से भी पर्यावरण को क्षति नहीं पहुंचा सके। इसके लिए जिग-जैक तकनीक जैसी नयी तकनीक वाले ईंट-भह्वे ही स्थापित हो सकेंगे। सूबे में नया प्रावधान लागू कर दिया गया है। इसकी जिम्मेवारी सभी जिलों को डीएम को सौंपी गयी है।
इस संबंध में खान निदेशक मो. नैयर इकबाल ने सभी जिलाधिकारियों को अलग से पत्र भेजा है। उनसे नियमों के अनुपालन में सहयोग की अपेक्षा की गयी है। सरकार ने हर हाल में नए नियम के पालन करने का निर्देश भी दिया है। दरअसल, केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरणीय संरक्षण अधिनियम के प्रावधान के तहत ईंट-भह्वा ईकाइयों की स्थापना के लिए नया मापदंड और दिशानिर्देश जारी किया है। इस आधार पर बिहार प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सचिव एस. चन्द्रशेखर ने खान निदेशक को पत्र लिखा था। पर्षद के पत्र मिलने के बाद खान एवं भूतत्व विभाग की ओर से सभी डीएम को पत्र लिखकर नियमों का पालन सुनिश्चित करने को कहा गया।
कहां कितनी दूरी जरूरी
● 200 स्थायी निवासी वाली बस्ती 800 मीटर
● स्कूल 800 मीटर
● अस्पताल 800 मीटर
● कोर्ट 800 मीटर
● सरकारी दफ्तर 800 मीटर
● नदी, डैम,वीयर, वेटलैंड, प्राकृतिक जलस्रोत 500 मीटर
● एनएच 300 मीटर
● एसएच 200 मीटर
ईंधन उपयोग की भी सीमा
ईंट-भह्वे वाले मनमाना ईंधन का उपयोग नहीं कर सकेंगे। वे केवल कोयला, पीएनजी, जलावन, कृषि अवशेष का ही उपयोग ईंट-भह्वे के लिए कर सकेंगे।
● नियम और कड़ा हुआ, डीएम को सौंपी जिम्मेवारी
यहां नहीं
ईको सेंसेटिव जोन, केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण के संवेदनशील क्षेत्र
नयी तकनीक
जिग-जैग, वर्टिकल सॉफ्ट टेक्नॉलाजी या फिर सिर्फ इससे संबंधित तकनीक
Source : Hindustan