सुपौल. बिहार में बाढ़ (Bihar Flood) लगातार तबाही मचा रही है. एक तरफ कोसी (Kosi River) में बढ़े जलस्तर ने जहां सुपौल जिले के कई इलाकों को जलमग्न करते हुए तबाही मचाई है तो वहीं कई इलाके ऐसे है भी जहां अभी भी बाढ़ के समय चचरी यानी बांस के पुल के सहारे लोग आवाजाही करते हैं और इसी पुल को पार कर के मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं.

3 हजार की आबादी का एकमात्र सहारा

ऐसा ही एक गांव है मोदी सरकार में मंत्री आरके सिंह का. सुपौल जिला मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर दूर बासबट्टी पंचायत है जो केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और आरा से बीजेपी के सांसद आरके सिंह का पैतृक गांव है. इसी पंचायत के मुसहरी गांव के करीब 3 हजार लोगो की जिंदगी एक चचरी पुल के सहारे चल रही है.

पैदल से लेकर बाइक सवार तक इसी रास्ते का करते हैं उपयोग

गांव से मुख्य सड़क जाने के बीच बाढ़ का पानी जमा रहता है लिहाजा गांव वालों को बाजार जाना हो या फिर अस्पताल बांस के बने चचरी के सहारे पर करना पड़ता है. इस बांस के चचरी के सहारे लोग साइकिल, मोटरसाइकल लेकर पार होते है जो बेहद खतरनाक है. थोड़ी भी चूक हुई तो बड़ा हादसा हो सकता है.

बांस से बने पुल के सहारे आते-जाते केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के गांंव के लोग

चंदा जमा कर गांव वाले हर साल बनाते है चचरी पुल

मुसहरी गांव के लोग हर साल चचरी पुल का निर्माण करते हैं. हर साल होने वाली बारिश और बाढ़ में यह चचरी पुल टूटकर बिखर जाता है. गांव के निवासी राधेश्याम सदा का कहना है कि हर साल गांव वाले आपस मे चंदा कर चचरी पुल का निर्माण करते हैं. बारिश और बाढ़ के कारण हर साल ये पुल टूट जाता है. बासबिट्टी के मुसहरी में रहने वाले कैलाश मुखिया का कहना है कि गांव वाले कई साल से एक पुलिया बनाने की मांग कर रहे हैं पर आजतक किसी ने हमारी बात नहीं सुनी. केंद्रीय मंत्री का गांव होने के नाते हमलोगों को ये उम्मीद थी कि चचरी के पुल से छुटकारा मिलेगा पर अभी तक ऐसा नहीं हो सका है और गांव की पूरी आबादी इसी पुल के सहारे जीने को विवश है.

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