न अपराधी दिखा, न हथियार और गाढ़ी कमाई होगी गायब, यही है साइबर अपराध। कुछ वर्ष पहले तक बिहार के अधिकतर लोग अपराध की इस शैली से अनजान थे। पर दिन दोगुनी और रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ते साइबर क्राइम के जाल से कोई अछूता नहीं रहा। पढ़े-लिखे लोगों से लेकर गांव के भोले-भाले शख्स तक इसका शिकार बन रहे हैं।

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कहीं लालच, तो कहीं धोखे से गाढ़ी कमाई लूटी जा रही। संथाल का जामताड़ा इसके लिए बदनाम है, फिल्में भी बनी। कहा जाता है, बिहार के साइबर अपराधी जामताड़ा के उसी बदनाम मॉड्यूल से प्रभावित हैं। नालंदा के कतरीसराय से आयुर्वेदिक दवाएं देश-विदेश तक भेजी जाती थी। समय के साथ जालसाज इसी के नाम पर ठगी करने लगे। तब न तो सीम कार्ड लेने के लिए कड़े नियम थे न ही मोबाइल पर निगरानी का कोई बेहतर तंत्र। लिहाजा आयुर्वेदिक दवाओं के नाम पर ठगी करनेवाले मालामाल होते गए। ऑनलाइन ठगी का यह धंधा कुछ वर्षों में पड़ोस के नवादा व शेखपुरा तक पहुंच गया। इन अपराधियों के कनेक्शन जामताड़ के साइबर फ्रॉड से भी रहे। वहीं की देखादेखी ये नए-एक तरकीब निकाल ठगी करने लगे। राज्य के पटना, गया व जमुई को भी इन तीन जिलों के साथ साइबर क्राइम के लिहाज से संवेदनशील कैटेगरी में रखा गया है। नालंदा, नवादा व शेखपुरा के साइबर अपराधी तब सुर्खियों में आए जब कोरोना के चलते देशभर में ऑक्सीजन व रेमडेसिविर दवा की किल्लत थी। साइबर अपराध की रोकथाम के लिए बिहार पुलिस की नोडल एजेंसी, आर्थिक अपराध इकाई ने मई 2021 में विशेष अभियान के दौरान नालंदा से 5, नवादा से 6 व शेखपुरा से 24 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया। दिसम्बर में नवादा के एक गांव से 17 अपराधी पकड़े गए। पकरीबरावां के थालपोश गांव में तो 15 फरवरी को 33 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई।

राज्य में साइबर अपराध बढ़ने का प्रमुख कारण जामताड़ा का अपराध मॉड्यूल रहा है। यहां के साइबर अपराधी जामताड़ा गैंग के संपर्क में रहे हैं। वहीं से अपराध की शैली भी सीखी। पहले इनके मामले सामने नहीं आते थे। अब लोग भी जागरूक हुए हैं ईओयू की साइबर सेल भी पूरी सक्रियता से कार्रवाई कर रही है।– नैयर हसनैन खान, एडीजी ईओयू

(नोट: नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल 30 अगस्त 2019 से शुरू किया गया है। इससे पहले यह अश्लील सामग्रियों को रोकने के लिए साइबर पुलिस पोर्टल के नाम से जाना जाता था, जिसकी शुरूआत वर्ष 2018 में हुई थी)

Source : Hindustan

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