राज्य सरकार सूबे के शिक्षण संस्थानों को तंबाकूमुक्त बनाने की योजना को और कड़ाई से लागू करेगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने व्यापक कार्ययोजना बनायी है। योजना के कार्यान्वयन और उसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए विभाग गैर सरकारी संगठनों- स्वयंसेवी संस्थानों की मदद भी लेगी। इनके माध्यम से शिक्षण संस्थानों में तंबाकूमुक्त कार्यक्रम को बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जाएगा।
इस समय शिक्षण संस्थानों के 100 गज में तंबाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है। लेकिन, वास्तविक रूप में इसका सही तरीके से अनुपालन भी नहीं हो पा रहा है। पिछले दिनों शिक्षा विभाग में इसको लेकर बैठक भी की गयी। इसमें गैर सरकारी संगठनों- स्वयंसेवी संस्थानों को लेकर विमर्श किया गया। विभाग ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) के लिए गैर सरकारी संगठनों- स्वयंसेवी संस्थानों से आवेदन भी मांगे थे। बैठक में इसको लेकर भी चर्चा की गयी। 26 गैर सरकारी संगठनों- स्वयंसेवी संस्थानों ने इस कार्य में अपनी इच्छा प्रकट की है। हालांकि तकनीकी रूप से इनमें से केवल 18 का ही आवेदन स्वीकार हो पाया है। अब विभाग इन गैर सरकारी संगठनों- स्वयंसेवी संस्थानों में से अपने निर्धारित मानकों के अनुरूप संस्था का चयन करेगा। दरअसल, प्रदेश में तंबाकू का प्रयोग खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। खासकर शिक्षण संस्थानों, उसके आसपास इसके प्रसार बढ़ रहा है। यहां तक कि स्कूली बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं। कुछ समय पहले प्रकाशित ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के आंकड़ों में बिहार के युवाओं में 7.3 फीसदी तंबाकू उत्पाद के प्रयोग के आंकड़े सामने आए हैं। इसमें बिहार के 7.3 प्रतिशत छात्र तंबाकू उत्पाद प्रयोग करने की बात सामने आई है। इसमें 6.6 फीसदी लड़के और 8 फीसदी लड़कियां तंबाकू उत्पाद का प्रयोग करती हैं।
एलायंस फॉर टोबैको फ्री बिहार (एएफटीबी) की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। विश्व तंबाकू दिवस पर 2021 में जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में हर साल सिगरेट से 35.92 टन, बीड़ी से 316.64 टन, धुंआ रहित तंबाकू से 5492.07 टन सहित कुल 5844.63 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। लिहाजा, सरकार खुद इस बात को लेकर चिंतित है कि कैसे इस पर प्रभावी तरीके से रोक लगे। यह भी तय किया गया है कि तंबाकू उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग आपसी सहयोग करेंगे।
Source : Hindustan