देशभर में संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों के पंजीकरण को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। भूमि संसाधन विभाग, जो कि ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन है, ने नए रजिस्ट्रेशन कानून का ड्राफ्ट तैयार कर जनता की राय के लिए प्रस्तुत किया है। यह प्रस्तावित कानून 1908 के रजिस्ट्रेशन अधिनियम की जगह लेगा, जिसे अब आधुनिक डिजिटल तकनीक के अनुरूप बदला जाएगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की होगी अनिवार्यता
नए विधेयक के अनुसार अब संपत्ति से संबंधित दस्तावेज जैसे – एग्रीमेंट टू सेल, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट, और इक्विटेबल मॉर्गेज का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया जाएगा। अब ये सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन माध्यम से भी पूरी की जा सकेंगी, जिससे आम जनता को सुविधा के साथ-साथ फर्जीवाड़े से भी राहत मिलेगी।
एक समान कानून पूरे देश में लागू करने की तैयारी
वर्तमान में लागू अधिनियम राज्यों को अपने स्तर पर बदलाव करने की अनुमति देता है, हालांकि इसके लिए केंद्र से परामर्श जरूरी होता है। कई राज्य पहले ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को लागू कर चुके हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक समान और व्यापक कानून लागू करने का प्रस्ताव दिया है, जो पूरे देश में एक जैसा प्रभावी होगा।
आधार आधारित सत्यापन से बढ़ेगी पारदर्शिता
मसौदे में आधार आधारित पहचान सत्यापन प्रणाली को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। हालांकि, जो लोग आधार नंबर साझा नहीं करना चाहते, उनके लिए वैकल्पिक पहचान प्रणाली भी उपलब्ध होगी। सरकार का मानना है कि इस कदम से फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
डिजिटल दस्तावेज और प्रमाणपत्रों का रखरखाव
अब संपत्ति से संबंधित सभी रजिस्टर्ड दस्तावेजों का डिजिटल संरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही, ई-सर्टिफिकेट और ई-रजिस्ट्री की सुविधा भी लागू की जाएगी। इस बदलाव से न केवल प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि दस्तावेजों की सुरक्षा और पहुंच में भी सुधार आएगा।
भूमि संसाधन विभाग का कहना है कि “तकनीकी विकास, बदलते सामाजिक व्यवहार और रजिस्टर्ड दस्तावेजों की बढ़ती आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक भविष्य उन्मुख रजिस्ट्रेशन प्रणाली का निर्माण आवश्यक हो गया है।” विभाग ने इस मसौदे पर आम नागरिकों से सुझाव और प्रतिक्रियाएं भी आमंत्रित की हैं।