बिहार पुलिस मुख्यालय ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए यह साफ कर दिया है कि अब पुलिस सेवा में शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहना अनिवार्य होगा। जो कर्मी फिटनेस मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस संबंध में सभी जिलों के SSP और SP को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में अनफिट पुलिसकर्मियों की पहचान कर सूची तैयार करें।
सिपाही से DSP तक की बनेगी लिस्ट
इस आदेश के तहत सिपाही से लेकर पुलिस उपाधीक्षक (DSP) स्तर के अधिकारियों तक की जांच की जाएगी। जिन पुलिसकर्मियों की फिटनेस अपेक्षित स्तर पर नहीं होगी, उनकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को भेजी जाएगी। इसके बाद तय प्रक्रिया का पालन करते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई की जाएगी। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त या अस्वस्थ कर्मियों को भी इस प्रक्रिया के तहत रिटायर किया जा सकता है।
मेडिकल जांच के बाद ही होगा अंतिम निर्णय
किसी भी कर्मी को जबरन सेवानिवृत्त करने से पहले उसकी संपूर्ण चिकित्सीय जांच कराई जाएगी। पुलिस विभाग का मानना है कि केवल मानसिक और शारीरिक रूप से फिट अधिकारी ही सेवा में प्रभावी योगदान दे सकते हैं। पुलिस सभा के दौरान सभी अधिकारियों को फिटनेस के महत्व को लेकर जागरूक किया जाएगा। SSP और SP को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि पुलिसकर्मियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया जाए।
नियमों के तहत लिया गया फैसला
इस निर्णय का आधार पुलिस हस्तक 1978 का नियम 809 और बिहार सेवा संहिता का नियम 74 है, जिसके तहत कोई भी पुलिसकर्मी जो ड्यूटी निभाने में असमर्थ हो, उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। यह फैसला पुलिस बल की कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
गौरतलब है कि 2020 में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका था। अब चुनावी साल में इस आदेश को दोबारा लागू किया गया है, जिससे पुलिस विभाग में अनुशासन और दक्षता को बरकरार रखा जा सके।