नीतीश सरकार पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग की लड़कियों को आवासीय सुविधा के तहत आनलाइन पढ़ाई और निश्शुल्क में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की कोचिंग कराने की व्यवस्था में जुटी है। इसके खास मायने भी हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने सभी 38 जिलों में स्थित अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आनलाइन पढ़ाई होगी। इससे एक शैक्षणिक सत्र में 35 हजार से ज्यादा लड़कियों को आनलाइन पढ़ाई का लाभ मिलेगा। लड़कियों को विषय के मुताबिक हार्ड कापी उपलब्ध कराई जाएगी। सभी कन्या आवासीय विद्यालयों में इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। अगस्त में पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी।

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नामचीन कोचिंग संस्थानों से उपलब्ध होगी स्टडी मैटेरियल 

पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग की ओर से संचालित कन्या आवासीय विद्यालयों (कक्षा छह से 12 तक) की छात्राओं को नि:शुल्क में इंटरनेट की सुविधा मिलेगी। वहीं छात्राओं को जेईई एवं नीट आदि प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले नामचीन कोचिंग संस्थानों से तैयार स्टडी मैटेरियल हार्ड कापी एवं साफ्ट कापी में मिलेगा। साथ ही सप्ताह में एक दिन विशेषज्ञों द्वारा स्पेशल क्लास लिया जाएगा, जिससे छात्राओं को होने वाली समस्या को दूर किया जा सके। इसके लिए विभाग ने कई कोचिंग संस्थानों से एकरारनामा किया है। विभाग ने आनलाइन क्लास के लिए कन्या आवासीय विद्यालयों में टीवी स्क्रिन, नेट, वेब के साथ ही डिजिटल ब्लैक बोर्ड की व्यवस्था की है। खास बात यह कि सभी आवासीय विद्यालयों में संचालित होने वाली आनलाइन क्लास की मानीटङ्क्षरग मुख्यालय स्तर पर की जाएगी। इस दौरान मुख्यालय में बैठे अधिकारी शिक्षकों के साथ ही छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।

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मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना बजट में 10 गुणा बढ़ोतरी 

पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने बताया कि अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्राओं के अतिरिक्त अति पिछड़ा वर्ग छात्रावासों में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी मेडिकल व इंजीनियरिंग समेत अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए निश्शुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई है। वहीं मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना का बजट में 10 गुणा बढ़ाया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ मिल सके। 2008-09 में इस योजना का बजट 10 करोड़ 67 लाख रुपये था, जिसे बढ़ाकर 105 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

Source : Dainik Jagran

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