भीषण गर्मी में पानी की किल्लत को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। किल्लत को दूर करने के लिए कवायद भी शुरू कर दी गई है। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए नियमावली बनेगी। इसे जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। जल संरक्षण को लेकर तालाबों की खुदाई भी करायी जाएगी। इसके साथ ही ट्यूबवेल के निर्माण के लिए प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य किया जा सकता है।

Photo by Pnakja Kumar (Dainik Jagran)

पानी की किल्लत को लेकर मंगलवार को मुख्य सचिव दीपक कुमार ने विभिन्न विभागों के आलाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए बन रही नियमावली पर विस्तार से चर्चा हुई। इसकी मुख्य जिम्मेदारी लघु जल संसाधन विभाग को दी गई है, जिसमें लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग भी मदद करेगा। गौर हो कि मुख्य सचिव पिछले कई दिनों से निरंतर पानी की किल्लत को लेकर संबंधित विभागों और जिलों के सात बात कर रहे हैं।

लघु जल संसाधन के प्रधान सचिव केके पाठक ने बताया कि नियमावली बन रही है। इसमें कोशिश होगी कि लोग पानी का इस्तेमाल ठीक से करें। उसे बर्बाद नहीं करें। इसको लेकर क्या-क्या कदम उठाये जा सकते हैं, इस पर चर्चा चल रही है। जैसे ट्यूबवेल के निर्माण के लिए प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य हो। ऐसे और भी कई बड़े कदम उठाये जा सकते हैं। हालांकि क्या-क्या कदम उठाये जाएंगे, इस पर अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है।

तालाबों की खुदाई करने का निर्देश

मुख्य सचिव ने बैठक में यह निर्देश दिया है कि जल संरक्षण को लेकर तालाबों की खुदाई करायी जाये, ताकि उसमें पानी एकत्र हो सके। बड़ी संख्या में तालाब सूख गये हैं, जिस कारण पानी का संरक्षण नहीं हो पाता है। यह भी बड़ा कारण है कि भू-जल स्तर नीचे जा रहा है। विशेष कर समस्तीपुर, वैशाली, दरभंगा आदि जिलों में भू-जल का स्तर अधिक नीचे चला गया है। जिलों से सूचना मिल रही है कि कई चापाकल सूख गये हैं। इसको लेकर मुख्य सचिव ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि पर्याप्त संख्या में नये चापाकल लगाये जायें। जो भी सूख गये हैं, उसकी तत्काल मरम्मत करायी जाए।

Input : Hindustan

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