लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया पर भड़काऊ टिप्पणी करने वाले बिहार पुलिस की रडार पर होंगे। ऊल-जलूल बातें तथा किसी की भावना को आहत करने पर कार्रवाई तय है। ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई के लिए आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में सोशल मीडिया यूनिट का गठन किया गया है।

आचार संहिता लागू होने के बाद से गठित इस इकाई ने अब तक ऐसे 28 संवेदनशील मामलों को दर्ज किया है। इनमें छानबीन के बाद 3 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। एक मामला नालंदा, दूसरा पटना के कोतवाली थाने में जबकि तीसरा ईओयू में दर्ज किया गया है। सात सनहा भी दर्ज किए गए हैं। 15 मामलों की जांच चल रही है। संवेदनशील मामलों में सबसे ज्यादा जाति और धर्म के नाम पर उन्माद फैलाने से संबंधित 19 मामले शामिल हैं। बड़ी संख्या में अति-संवेदनशील पोस्ट सोशल मीडिया से हटाए गए हैं। चुनावी रणभूमि में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार के तहत बड़ी सावधानी से सोशल मीडिया पर मौजूद पोस्ट की पड़ताल की जाती है। इसमें सिर्फ उन्हीं पोस्टों या सामग्रियों को डिलिट किया जाता है, जो किसी खास जाति, धर्म, व्यक्ति, दल या समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ी रहती है। धार्मिक उन्माद से जुड़े मामले नालंदा, नवादा समेत कुछ अन्य जिलों में अधिक सामने आए हैं। इस यूनिट के पास रोजाना औसतन 10 शिकायतें इस तरह की आती हैं। इनमें अधिकतर मामलों में शुरुआती जांच कर संबंधित जिलों को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया जाता है।

नालंदा साइबर थाने में जो मामला दर्ज किया गया है, वह धार्मिक उन्माद से जुड़ा है। कुछ लोग गाने के माध्यम से दूसरे के धर्म पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। जिसके एकाउंट से फेसबुक पर अपलोड किया था, उसकी तलाश चल रही है।

सोशल मीडिया यूनिट सभी तरह की गतिविधियों पर निरंतर नजर रख रहा है। कुछ भी आपत्तिजनक सामग्री मिलने पर इसे तुरंक ब्लॉक कर इसके स्रोत का पता लगाया जाता है और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। सोशल मीडिया की हर गतिविधि पर लगातार नजर रखी जा रही है। -मानवजीत सिंह ढिल्लो, डीआईजी, ईओयू

Source : Hindustan

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