शहर के ऋषभ कुमार ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) में परचम लहराकर जिले का नाम रोशन किया है। बीपीएससी की 63वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में ऋषभ को टॉप टेन में 9वां स्थान हासिल हुआ है। बिहार प्रशासनिक सेवा में ऋषभ एसडीएम के पद पर तैनात होंगे। बेला इलाके में लक्ष्मी नारायण नगर कॉलोनी (रामकृष्ण आश्रम) में खुशियों का माहौल है। बेटे का रिजल्ट सुनकर माता-पिता ने सबसे पहले ईश्वर का धन्यवाद किया। वे गोशाला स्थित बाबा शक्तिनाथ धाम मंदिर गए और पूजा-अर्चना की। इसके पहले 2014 में कैट की परीक्षा में ऋषभ ने सफलता पाई थी।

बेटे की सफलता से संवेदक पिता गौरवान्वित: ऋषभ का परिवार शिक्षित व खुशहाल रहा है। पिता शैलेंद्र कुमार उर्फ राजू ओझा सरकारी विभागों के संवेदक हैं। मां कृष्णा कुमारी सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। वे माधोपुर सुस्ता मध्य विद्यालय में पढ़ाती थीं। ऋषभ के पिता बेटे की शानदार सफलता से फुले नहीं समा रहे। उनका कहना है कि पेशे से एक ठेकेदार होने के कारण अफसरों को सलाम ठोकना पड़ता है। मगर अब मेरे बेटे को लोग सलाम करेंगे। एक पिता के लिए इससे बढ़कर और बड़ी बात क्या होगी। कहते हैं कि ऋषभ पर बचपन से ही उम्मीद बंधी थी। वह तीन बहनों में सबसे छोटी संतान है। उसकी बड़ी बहन ज्योत्सना एमएससी एजी पासआउट है। दूसरी बहन निवेदिता नालंदा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है। तीसरी निकिता दिल्ली में गलगोटिया इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही है।

बचपन से ही सिविल सेवा में जाना चाहते थे ऋषभ: ऋषभ के पिता बताते हैं कि वह अभी बीस साल का है। 20 नवंबर, 1991 को उसका जन्म हुआ। ऋषभ बचपन से ही सिविल सेवा में जाना चाहते थे। यहीं सपना लेकर 2007 में दिल्ली गए। वहां इलेक्टिकल इंजीनियरिंग में नामांकन लिया। इंजीनियरिंग के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटे रहे। उनका लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करना है। उस परीक्षा की तैयारी का आकलन करने के लिए ऋषभ ने बीपीएससी की परीक्षा दी और ये मुकाम हासिल हुआ है। इसके पहले भी उन्होंने परीक्षा देने की कोशिश की थी मगर नहीं दे पाए। ऋषभ के पिता बताते हैं कि वह 2007 में दसवीं की परीक्षा में 97.2 फीसद अंक हासिल कर जिले में सेकेंड टॉपर रहा। गणित व विज्ञान में ऋषभ को सौ-सौ नंबर आए थे। वह बचपन से ही मेधावी था। ऋषभ की सफलता से ननिहाल महंत मनियारी में भी खुशियों का माहौल है। गांव वालों का कहना है कि ऋषभ के बारे में पहली बार तब जाना जब कैट में सफलता पाई। उसके मामा विनय कुमार शर्मा व प्रमोद कुमार शर्मा का कहना है कि ऋषभ की प्रतिभा व परिश्रम का यह प्रतिफल है।

 

बीपीएससी के पूर्व सदस्य से ट्रेनिंग पाकर कई छात्रों को मिली सफलता

बीपीएससी के सदस्य रह चुके एलएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश राय से ट्रेनिंग पाकर 63वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में 15 छात्र-छात्रओं को सफलता हासिल हुई है। प्राचार्य ने कहा कि इनमें से अधिकतर छात्र मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं जबकि अन्य पटना के कोचिंग संस्थान सार्थक संवाद के हैं। प्राचार्य ने कहा कि उन सबको मुख्य परीक्षा में चयन के बाद साक्षात्कार की तैयारी के लिए मॉक इंटरव्यू कराकर दक्ष बनाया था। उनसे ट्रेनिंग पाने वाले कुमार सर्वेश का कहना है कि प्रो. राय के मार्गदर्शन के बिना यह परीक्षा उत्तीर्ण करना शायद आसान न होता। साक्षात्कार के लिए चयनित अन्य छात्र-छात्रओं का भी यही कहना है। उनमें इस बात को लेकर उत्साह है कि बीपीएससी के एक पूर्व सदस्य के समक्ष इंटरव्यू देकर ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं। प्राचार्य बनने के बाद प्रो. राय बीपीएससी की तैयारी करने वाले अन्य कई छात्रों के लिए रोल मॉडल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रणव शेखर, कृष्णा मोहन जायसवाल, हरेराम, अमर्त्य कुमार, कुमकुम कुमारी, धर्मेद्र कुमार, अमृता कुमारी, आकाश रंजन, पूजा कुमारी, कुणाल भूषण, रुपेश कुमार गौतम, स्वीटी गुप्ता, नेहा राज, श्रेयांस तिवारी जैसे अन्य कई ने इस परीक्षा में बाजी मारी है।

Input : Dainik Jagran

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