दो शताब्दी से शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए मशहूर रहा मुजफ्फरपुर आज पुरे देश में शिक्षा के ही क्षेत्र में बदनामी झेल रहा है। ऐसे तो मुजफ्फरपुर का “नाम” पिछले वर्षों में सेलिब्रिटीयों पर लगातार परिवाद दायर करते रहने, नवरुणा हत्याकांड और मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में बदनाम होता रहा है लेकिन ताजा मामला है बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के धनराज महतो कॉलेज में पढ़ने वाले कुंदन कुमार नामक छात्र के एडमिट कार्ड पर जहाँ उसकी मां का नाम सनी लियोनी और पिता का नाम इमरान हाशमी लिखा गया है, वहीं पता चतुर्भुज स्थान अंकित है जहाँ का वो निवासी ही नहीं है। ऐसे में देश भर के तमाम मीडिया चैनल पर ये मामला तेजी से उछल रहा है।
कैसे हो सकता है ऐसा?
प्रायः परीक्षा फार्म भड़ने वाले छात्रों और छात्राओं द्वारा फार्म अपने किसी मित्र के सहयोग से भड़वाया जाता है, ये अगर विभागीय चूक नहीं है तो ये किसी सहपाठी की शरारत ही है। लेकिन जिम्मेदारी तो उस विभागाध्यक्ष की भी है जिन्होंने फार्म चेक कर के स्वीकार किया होगा, क्योंकि परिक्षा फार्म जमा होने से पहले उक्त विषय के विभागाध्यक्ष या छोटे कालेजों में कलर्क के हाँथों चेक होने के बाद ही जमा लिया जाता है। शैक्षणिक सत्र नियमित नहीं होने की वजह से एक महिने में तीन-तीन सत्र की परीक्षाएं लि जा रही है ऐसे में कर्मचारियों पर भी कम समय में सारी परीक्षाएं ले लेने का दवाब ज्यादा है जिस वजह से ऐसी चूक हो रही है।
2016 में हुए प्रसिद्ध रूबी राय प्रकरण के बाद इस मामले के बाद अब आगे क्या ?
2016 में रूबी राय के टाॅपर बन जाने के बाद दिए इंटरव्यू ने पुरी दुनिया के सामने बिहार के उच्चतर माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था और उसमें व्याप्त खेल की पोल पट्टी खोल उसे देश के सामने ला दिया था, जिससे हम सब वाकिफ़ तो थे ही लेकिन ये मानतें नहीं थें कहीं। मामला सामने आने के बात बीते चार वर्षो में फार्म,परीक्षा,रिजल्ट की प्रक्रिया में अनेकों सकारात्मक बदलाव आए और फिर मेहनती बिहारी छात्रों को कलंकीत करने वाला कोई वाक्या सामने नहीं आया, आशा है की अभी हुए इस इमरान हाशमी प्रकरण के बाद सिस्टम में व्याप्त गड़बड़ीयों पर सुधार करते हुए शैक्षणिक सत्र भी नियमित हो जाए और दक्ष कर्मचारियों की बहाली कर काम करने का तरीका भी बेहतर हो सके ऐसे बदलाव लाए जाएं।