स्नातक पार्ट वन में 2019-22 सत्र में एडमिशन में विलंब से छात्रों में जबरदस्त आक्रोश है। नाउम्मीदी में छात्र बड़ी संख्या में दूसरे विश्वविद्यालय में पलायन कर रहे हैं। छात्रसंघ अध्यक्ष बसंत कुमार सिद्धू व छात्र जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तम पांडेय ने कहा कि विगत पांच महीने से नामांकन प्रक्रिया चल रही। उसकी रफ्तार देखकर लगता है कि दिसंबर तक यह पूरा नहीं हो पाएगा। पीजी में 5000 सीटों पर नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए गए फिर मेरिट लिस्ट निकली।
गड़बड़ी हुई तो काउंसिलिंग कराकर दोबारा मेरिट लिस्ट जारी हुई। उसके बाद दो बार काउंसिलिंग की डेट पड़ी। सेकेंड मेरिट लिस्ट नहीं निकली। दो माह पहले क्लास शुरू हो जानी चाहिए मगर पीजी में अभी तक एडमिशन प्रॉसेस भी पूरा नहीं हो पाया। प्री-पीएचडी टेस्ट में मात्र 2401 स्टूडेंट थे तो इस कदर धांधली हुई और तीन बार परीक्षा करानी पड़ी। पार्ट वन में डेढ़ लाख छात्र हैं। उसकी परीक्षा आठ सितंबर को तय की गई है।
पीएचडी परीक्षा का हश्र देखकर इतनी तदाद में छात्रों की परीक्षा कैसे ली जाएगी? उसका क्या नियम है, कितने नंबर पर छात्र उत्तीर्ण होंगे? फेल कर जाते हैं तो उनका एडमिशन होगा कि नहीं करोड़ों रुपए खर्च कराकर ली जाने वाली इस परीक्षा से छात्रों को क्या लाभ होगा? प्रभारी कुलपति ने पीजी में नामांकन के बारे में तो कुछ नहीं कहा है मगर पार्ट वन में नामांकन पर खुलकर बात रखी। वीसी के हवाले से कहा गया कि त्रिवर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में नामांकन हेतु प्रवेश परीक्षा आठ सितंबर को निर्धारित तिथि पर ली जाएगी। 50 केंद्रों पर कुल एक लाख 44 हजार अभ्यर्थी भाग लेंगे। जल्द ही वेबसाइट पर इस परीक्षा संबंधी सारी जानकारी उपलब्ध होगी।
Input : Dainik Jagran