बिहार में सीएए (CAA) को लेकर भी विपक्ष का बिखराव साफ दिख रहा है. महागठबंधन (Grand Alliance) बिहार बंद तो कर रही है लेकिन अलग-अलग तारीखों में. आरजेडी (RJD) ने 21 दिसंबर को बंद कॉल किया है तो लेफ्ट पार्टियां (Left) 19 दिसंबर को बंद कर रही हैं. आरजेडा कहता है बंद उन्होंने पहले बुलाया है तो सबको उनके नेतृत्व में बंद करना चाहिए ऐसे में दूसरा पक्ष इस बंद को गंभीरता से नहीं ले रहा है.

सीएए के मसले पर भी एक मंच पर नहीं आया महागठबंधन

बिहार में महागठबंधन यह कहता है कि हम साथ साथ हैं लेकिन इनकी एकता की हवा उस समय निकल जाती है जब यह किसी मसले पर काम करते हैं. पूरे देश में सीएए को लेकर विरोध चल रहा है. सभी विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं. लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है लेकिन बिहार में विपक्षी महागठबंधन पूरी तरह से इस मसले पर भी बिखर गई हैं. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आरजेडी 21 दिसंबर को बिहार बंद का आह्वान कर रहा है तो वहीं 19 दिसंबर को तमाम लेफ्ट पार्टियां बंद कॉल कर चुकी है.

आरजेडी का दावा

आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि उन्होंने बंद कॉल पहले किया था. तेजस्वी यादव ने जिस दिन नागरिक संशोधन बिल लाया गया था उसी दिन बंद का कॉल किया था. आरजेडी ने सभी पार्टियों को कॉल किया था कि वह इसका समर्थन करें लेकिन उन्होंने अलग-अलग बंद कॉल किया है जो गलत है. वहीं कांग्रेस भी अलग-अलग बंद को गलत मानती है. कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा कहते हैं यदि एक साथ बंद किया जाता तो बंद का असर ज्यादा होता. वह आरजेडी के बंद मैं अपना समर्थन दे देने की बात कहते हैं.

महागठबंधन के दल एक साथ कभी नही आएंगे
दो दिनों के इस बंद को लेकर सरकार बहुत गंभीर नहीं है. बिहार सरकार के मंत्री सुरेश शर्मा का मानना है छोटे-छोटे स्तर पर विपक्षी पार्टियां बंद कर रही हैं इसका कोई असर नहीं होगा. महागठबंधन का बिखराव एक बार फिर से धरातल पर आया है. यह कभी एक नहीं हो सकते हैं. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि विपक्ष हर मसले पर बिखर जाता है. इस मसले पर भी विपक्ष एकजुट नहीं दिख रहा है. लेफ्ट पार्टियां अलग बंद कर रही हैं तो आरजेडी अलग बंद कर रहा है. ऐसे में इस बार भी विपक्ष का बिखराव पूरी तरह से सामने आया है.

महागठबंधन में लीडरशिप पर सवाल
महागठबंधन के अंदर लगातार एक द्वंद चल रहा है. ये द्वंद लीडरशिप को लेकर है. महागठबंधन में कोई भी किसी एक को नेता नही मान रहा है. ऐसे में सीएए पर भी इनका बिखराव बताता है कि ये कभी एक दूसरे के साथ सहमत नही हो सकते है. और इसका फायदा पक्ष को भरपूर मिल रहा है.

 

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