राज्य में जाति आधारित गणना का कार्य 7 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। इसके पहले चरण में सिर्फ मकानों को गिना जायेगा। इस प्रक्रिया को 21 जनवरी तक पूरी कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी रिपोर्ट तैयार होने के बाद दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें लोगों की जाति के आधार पर गणना की जायेगी। पहले चरण में सिर्फ उन्हीं मकानों को गिना जायेगा, जिनमें लोग रह रहे हैं। झुग्गी-झोपड़ी, सड़क, बांध समेत ऐसे अन्य स्थानों पर रहने वालों के आश्रय स्थलों को भी गिना जाएगा।
पूरे राज्य में मकानों की गणना को पूरा करने के लिए प्रत्येक 700 की आबादी या 150 घर पर एक प्रगणक नियुक्त किये गये हैं। प्रत्येक छह प्रगणक पर एक सुपरवाइजर की तैनाती की गयी है। जिला स्तर पर सभी डाटा को एकत्र करने के बाद इसकी समेकित रिपोर्ट तैयार करने के लिए इसे सामान्य प्रशासन विभाग में भेजा जायेगा। विभाग में इसके लिए एक विशेष सेक्शन नंबर बनाया गया है। गिनती के दौरान घरों पर क्रमवार नंबर अंकित करते हुए इन्हें सूचीबद्ध किया जायेगा। इस कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए जिला से लेकर ग्राम स्तर के सभी कर्मियों की ट्रेनिंग करवा दी गयी है। सभी जिलों के डीएम प्रधान गणना अधिकारी सह नोडल पदाधिकारी हैं। प्रगणक की भूमिका शिक्षक, लिपिक, मनरेगा, आंगनबाड़ी, जीविका आदि निभायेंगे। पूरे राज्य में दो लाख से अधिक कर्मी घरों को गिनने के कार्य में लगाये गये हैं। घरों, मकानों या आश्रय स्थल को यूनिट मानते हुए गणना की जायेगी।
10 से 12 सवाल पूछे जाएंगे दूसरे चरण की गणना के दौरान जाति, उप-जाति, नाम, पता, पिता या पति का नाम, लिंग, उम्र समेत 10 से 12 सवाल होंगे। इन्हें प्रगणक लोगों से पूछकर एक निर्धारित फॉर्मेट में भरेंगे।
गणना कार्य का पहला चरण पूरा होने के बाद दूसरे चरण की शुरुआत होगी। अभी इसकी तारीख की घोषणा नहीं हुई है। ऐसे सरकार ने पहले चरण की गणना को फरवरी अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन स्कूलों में परीक्षा, बजट सत्र जैसे कई कारणों से इसमें थोड़ा परिवर्तन हो सकता है। पहले चरण की रिपोर्ट तैयार होने के बाद दूसरे चरण के लिए तारीख की घोषणा की जायेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमलोग चाहते थे कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना हो, लेकिन केंद्र सरकार सहमत नहीं हुई। हमलोगों ने अपने स्तर से बिहार में जाति आधारित गणना का फैसला लिया। यहां की जाति गणना होने के बाद केंद्र को भी जानकारी दे देंगे। इससे देश के विकास और समाज के हर तबके के उत्थान में काफी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री शुक्रवार को शिवहर में पत्रकारों से बात कर रहे थे। कहा-कई बार लोग जाति की जगह अपनी उप जाति बता देते हैं। ऐसी स्थिति में उसके बगल में रहनेवाले व्यक्ति से जानकारी ली जायेगी। इससे सही मायने में सभी जातियों की संख्या की गिनती हो सकेगी। लोगों की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी सरकार को होगी। इससे उनके विकास के लिए योजनाएं शुरू करने में मदद मिलेगी।
Source : Hindustan