सीबीआई बालिका गृह कांड की जांच में अहम पड़ाव पर पहुंच गई है। बालिका गृह में अराजक स्थिति की रिपोर्ट के बाद नाटकीय तरीके से उसे जिला प्रशासन से क्लीनचिट मिलने के सबूत सीबीआई को मिल चुके हैं। बाल संरक्षण इकाई ने ये सबूत सीबीआई इंस्पेक्टर विभा कुमारी को सौंपे हैं। यह अहम सुराग हाथ लगने के बाद सीबीआई जांच की कड़ियों को जोड़ने में लग गई है।

सीबीआई की मांग पर बाल संरक्षण इकाई ने यह अहम दस्तावेज सौंपा है। इसमें यह दर्ज है कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बालिका गृह में किशोरियों की सुरक्षा व शिक्षा की व्यवस्था न होने पर गंभीर आपत्ति जतायी थी। कहा था कि किशोरियों की सुरक्षा के लिए वहां महिला सिपाही तैनात नहीं है। वहीं, कम जगह होने के कारण बालिका गृह का स्थान बदलने का निर्देश दिया था। आयोग ने बालिका गृह के अलावा पर्यवेक्षण गृह व बालगृह का भी निरीक्षण किया था। आयोग की इस आपत्ति के बाद बालिका गृह की अधीक्षिका इंदू (जिसे संचालक ने ही नियुक्त कर रखा था) ने कार्रवाई रिपोर्ट दी थी। उसने आपत्तियों पर गोलमोल जवाब दिया था।

रिपोर्ट में कहा कि आयोग की आपत्ति पर बिंदुवार कार्रवाई कर ली गई है। उसने जिक्र किया कि किशोरियों को घर पहुंचाने या जरूरी कार्यवश जाने के दौरान महिला सुरक्षाकर्मी की व्यवस्था की जाती है। रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि बालिका गृह में महिला सुरक्षाकर्मी की तैनाती क्यों नहीं है। आयोग की जगह को लेकर की गई आपत्ति पर इंदू ने रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं किया। वहीं, किशोरियों की शिक्षा के संबंध में उठी आपत्ति पर उसने कहा कि आयोग के निर्देश पर पहली से 12वीं तक की पुस्तक खरीद ली गई है और संस्था की स्वयंसेवी महिलाएं उन्हें पढ़ा रही हैं। अधीक्षक इंदू की इस रिपोर्ट को तत्कालीन डीएम ने अपनी अनुशंसा पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ सामाज कल्याण को भेजा। इसी अनुशंसा के बाद सेवा संकल्प एवं विकास समिति को बकाये किस्त का भुगतान भी किया गया और बालिका गृह संचालन की हरी झंडी भी दी गई।

Input : Hindustan

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