बिहार में शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को लेकर कई बार मीडिया में खबरें आती रहती है. हाजीपुर में स्कूल बिल्डिंग में छिपकिलियों की तरह चढ़कर नकल करवाते लोगों की तस्वीर देश के लोग नहीं भूले हैं. इसके साथ ही दूसरी सच्चाई शिक्षकों की योग्यता को लेकर भी सामने आती रहती है. कई बार मीडिया ने यह दिखाया है कि कई शिक्षकों को बेसिक ज्ञान भी नहीं है. एक बार फिर शिक्षकों की इसी अज्ञानता की खबर सामने आई हैं.

11 नवंबर को देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana abul kalam azad) की जयंती पर बिहार में शिक्षा दिवस मनाया गया. इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, लेकिन बेतिया के एक स्कूल में उनकी जगह देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (Dr APJ Abdul Kalam) की तस्वीर को ही श्रद्धांजलि दे दी गई.

गलती इतनी ही नहीं बल्कि आगे भी जारी रही. श्रद्धांजलि देने के दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापक कृष्णनाथ हजरा ने अपने संबोधन में विद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं को शिक्षा दिवस के अवसर पर बताया कि आज ही के दिन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था.

उन्होंने यह भी बताया कि हमारे देश के सबसे पहले शिक्षा मंत्री डॉ एपीजे अब्दुल कलाम बने. वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, लेखक थे इन्हीं के जन्मदिवस पर हम हर साल शिक्षा दिवस के रूप में मनाते हैं.

इस घटना के बाद अभिभावकों में काफी आक्रोश है. न्यूज 18 से बात करते हुए वे कहते हैं कि सरकार कहती है कि हम सभी सरकारी विद्यालयों में काफी सुविधा देते हैं, आप अपने बच्चे को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं. लेकिन, आज देखने को मिला कि सरकारी विद्यालयों में क्या पढ़ाई जाती है. हमारे बच्चे की भविष्य कितना अंधकार में जा रहा है.

आभिभावकों का आरोप है कि जयंती मनाते समय विद्यालय के सभी शिक्षक भी मौजूद रहे, फिर भी किसी शिक्षक को याद नहीं रहा कि किनकी जयंती मनाई जा रही है. बस किसी तरह हमारे बच्चे को भरमाया जा रहा है और पढ़ाई के नाम पर सरकारी पैसा उठाया जा रहा है.

आक्रोशित अभिभावकों ने कहा कि अगर सभी शिक्षकों को निलंबित नहीं किया जाएगा तो वे लोग डीएम को आवेदन देकर शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करवाने की कोशिश करेंगे.

Input : News

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