केंद्र सरकार ने बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या के समाधान के लिए एक पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति उत्तर बिहार की विभिन्न नदियों के जल प्रबंधन के लिए नए बराज और अन्य संरचनाओं के निर्माण की संभावनाओं का अध्ययन करेगी। समिति गुरुवार को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
जदयू सांसद संजय झा ने बुधवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बिहार के विकास और उत्तर बिहार में बाढ़ के स्थायी समाधान से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ विचार-विमर्श के बाद उन्होंने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने उत्तर बिहार में बाढ़ के प्रभाव को कम करने से संबंधित उनके सुझावों को गंभीरता से सुना और उसी शाम एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में संजय झा के अलावा विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की सचिव देबश्री मुखर्जी, और वित्त, विदेश व जलशक्ति मंत्रालय के वरीय अधिकारी भी शामिल थे। बैठक में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से बेहतर जल प्रबंधन पर चर्चा हुई।
संजय झा ने बताया कि नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ उत्तर बिहार के विकास में बड़ी बाधा है और इससे जानमाल की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को हर साल बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है, जिससे राज्य का विकास प्रभावित होता है। उन्होंने अपने जल संसाधन मंत्री के कार्यकाल के अनुभव के आधार पर समाधान के लिए कई सुझाव दिए, जिन्हें गंभीरता से सुना गया।
बैठक के बाद संजय झा ने विश्वास व्यक्त किया कि एनडीए की डबल इंजन सरकार उत्तर बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या को एक अवसर में बदल देगी। उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार की भूमि उपजाऊ है और बाढ़ का स्थायी समाधान होने और अधिशेष नदी जल का सिंचाई में उपयोग होने पर क्षेत्र में तेजी से विकास हो सकेगा।
गठित समिति में लोअर गंगा बेसिन ऑर्गनाइजेशन (एलजीबीओ), पटना के मुख्य अभियंता अंबरीश नायक की अध्यक्षता में समिति के सदस्य गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के निदेशक संजीव कुमार, केंद्रीय जल आयोग के बीसीडी के निदेशक एसके शर्मा और जल संसाधन विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। एलजीबीओ के अधीक्षण अभियंता समिति के सदस्य सचिव होंगे।