ऐसी दीवानगी शायद ही देखने को मिले जब समलैंगिक रिश्ते के परवान चढ़ने पर लिंग परिवर्तन कर कोई किशोर अपने से दोगुने उम्र के विवाहित युवक से शादी रचाये। बिहार के सारण जिले में स्थित इसुआपुर गांव के साहिल और मढौरा के चंदन की प्रेम कहानी का नया ट्विस्ट कुछ ऐसा ही है। चंदन के प्यार में साहिल रिया तो बन गया, लेकिन उसे जिंदगी भर की खुशी नहीं मिल पाई। हद तो तब हो गई कि जिस प्रेमी के लिए रिया ने इतना बड़ा कदम उठाया उसी ने उसे दो साल बाद ठुकरा दिया। फिलहाल रिया ऑर्केस्ट्रा में काम कर अपने मां-बाप के साथ रह रही है।

करीब ढाई साल पहले मढ़ौरा प्रखंड के गौरा हथिसार निवासी चंदन कुशवाहा की नजर इसुआपुर बाजार में अपने से उम्र में दोगुना छोटे खूबसूरत कोमल किशोर साहिल पर पड़ी। उसका आकर्षण उसके प्रति बढ़ गया। उसने उससे दोस्ती का जाल बुना और भोले-भाले साहिल को अपने प्रेम में फांस कर उसके साथ समलैंगिक संबंध बनाने पर राजी कर लिया।

उस समय चंदन की उम्र लगभग 40 साल थी। वहीं साहिल की उम्र लगभग 15 साल थी। पत्नी व एक बच्चे के रहते चंदन को समलैंगिक संबंध बनाने का पागलपन इस कदर चढ़ा कि वह साहिल को लेकर मुंबई चला गया। वहां वह फिल्म इंडस्ट्री में स्पॉट ब्वॉय के रूप में काम करता था।

लिंग परिवर्तन के बाद बन गया रिया

मुंबई में 15 दिनों तक समलैंगिक संबंध बनाते रहने के बाद साहिल का चंदन इस कदर दीवाना हो गया कि मुंबई में ही उसका ऑपरेशन से लिंग परिवर्तन करा कर रिया नाम दे दिया। इसके कुछ दिन बाद चंदन पत्नी के रूप में रिया को लेकर दिल्ली गया। वहां एक फ्लैट में पहले से मौजूद उसकी पहली बंगाली पत्नी और एक बेटी थी। हालांकि रिया और पहली पत्नी को समझा बुझाकर चंदन दोनों की रजामंदी से एक साथ रखने लगा। फिर वह रिया को लेकर गुजरात चला गया। वहां एक साल रहने के बाद उसे लेकर पुनः मुंबई आया।

कुछ अनबन के बाद दो साल तक पति-पत्नी के रूप में साथ रखने के बाद चंदन रिया को लेकर अपने गांव गौरा हथिसार आया। रिया ससुराल में रहना चाहती थी लेकिन ससुराल वाले उसे वहां रखने से मना कर दिए। इसके बाद चंदन गौरा बाजार पर एक किराया के कमरे में रिया को रखा और खुद मुंबई वापस चला गया। वह रिया से नहीं मिल पाया और न ही भरण पोषण के लिए पैसे भेजता था।

स्त्री तो बन गई लेकिन मातृत्व सुख नहीं मिला

रिया ने बताया कि वह स्त्री तो बन गई लेकिन गर्भधारण नहीं कर सकती है। साहिल से रिया बनी उसके माता-पिता को अपने इस संतान के भरण पोषण को लेकर चिंता हुई। उसको लेकर रिया के ससुराल वालों से उन्होंने गुहार लगाई। पंचायती भी हुई। इसमें रिया को गौरा बाजार पर एक कट्ठा जमीन और 50 हजार रुपए देने की बात तय हुई। हालांकि रिया को अभी तक 35 हजार रुपए नकद ही मिले हैं जबकि जमीन अब तक नहीं मिली है।

Source : Hindustan

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