चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग को लेकर असमंजस बरकरार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के प्रमुख के सिवन (K Sivan) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चंद्रयान -2 से चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर संपर्क टूट गया.
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग को लेकर असमंजस बरकरार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के प्रमुख के सिवन (K Sivan) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चंद्रयान -2 से चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर संपर्क टूट गया. डेटा का अध्ययन किया जा रहा है. हालांकि अभी भी उम्मीदें बरकरार है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. जब कम्यूनिकेशन टूट गया तो मैंने देखा कि सारे चेहरे उतर गए थे. ये कोई छोटी-मोटी उपलब्धि नहीं है. देश आप पर गर्व करता है, आपकी मेहनत ने हमें काफी कुछ सिखाया. ‘Hope For the best’. आपने देश की सेवा की है, विज्ञान की सेवा की है, मानव जाति की सेवा की है. आपके नेतृत्व में ही हम फिर जश्न मनाएंगे. आपकी मेहनत ने हमें काफी कुछ सिखाया है. उम्मीद करते हैं कि जैसे ही संपर्क फिर से जुड़ता है तो यह और भी बड़ी उपलब्धि होगी. मैं पूरी तरह आपके साथ हूं आप हिम्मत के साथ चलें.’
This is Mission Control Centre. #VikramLander descent was as planned and normal performance was observed up to an altitude of 2.1 km. Subsequently, communication from Lander to the ground stations was lost. Data is being analyzed.#ISRO
— ISRO (@isro) September 6, 2019
लैंडर विक्रम की पहले रात 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी, लेकिन इसका समय बदलकर 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया. हालांकि, यह समय बीत जाने के बाद भी लैंडर विक्रम की स्थिति पता नहीं चल सकी. अभी यह मिशन जारी है. इसरो (ISRO) दोबारा से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.
मालूम हो कि मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) (Chandrayaan 2) को श्रीहरिकोटा से सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क III-एम1 के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपये है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो (ISRO)) के वैज्ञानिकों ने 15 जुलाई को मिशन के प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे इसे रोक दिया था. कई दिग्गज वैज्ञानिकों ने इस कदम के लिए इसरो (ISRO) की प्रशंसा भी की थी.
I'm sad but proud of @isro for keeping the flag high. To dream big is one step towards achieving it. And #Chandrayaan2 is miles ahead on that path. We will do it again. We shall succeed. Soon.
And I'm proud of our Hon. PM who is encouraging our scientists like a true leader. pic.twitter.com/U9e7piQtVj
— Nikhil Srivastava 🇮🇳 (@snikhil_social) September 6, 2019
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया गया. इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं. इस मिशन के तहत इसरो (ISRO) चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारने की योजना थी. इस बार चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का वजन 3,877 किलो है. यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है. लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड है.
ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है. ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके. वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे. लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं. जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा.
https://twitter.com/bhaiyyajispeaks/status/1170083392555081728
यह चंद्रयान-1 से कितना अलग है चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2)?
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है. इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा. यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी. इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा.
Input : Zee News