मुजफ्फरपुर शहर आप इसे लीची सिटी भी कह सकते है, रसगुल्ले जैसी शाही लीची पूरे विश्व को यहीं शहर देती है, जितनी मीठी यहां की लीची है, उतनी ही मीठी यहाँ की बोली है. वैसे तो इस शहर में हर भाषा के बोलने वाले लोग रहते है. मूलतः मैथली, बज्जिका और भोजपुरी यहां बोली जाती है, लेकिन किसी भी जबान में कहिये, ये शहर है बहुत लाजवाब. जितना जबरदस्त दिलदार लोगो का शहर मुजफ्फरपुर है, उतना ही दमदार है यहां का इतिहास, सबसे कम उम्र में वतन के लिये शहीद होने वाले खुदीराम बोस ने यहीं फाँसी के फंदे को गले से लगाया था, हँसते- हँसते चढ़बो फांसी देखबो भारतवासी- फक्र से सीना चौड़ा हो जाता है.

Image result for rajendra prasad

 

हम वो मुजफ्फरपुरिया है जिस धरती को माँ भारती के लाल ने अपने खून से रंग के देश के आज़ादी के गीत गाये, ये शहर अंग्रेज के कुरुरता का गवाह तो है ही, साथ ही गवाही देता है सूरज की सुर्ख रोशनी में आजादी का भी, महात्मा गांधी को भी इस धरती से बेहद लगाव था, चंपारण आंदोलन के वक़्त वो यहां आए भी, बापू ने स्वराज का सपना देखा था उसके निशान आज भी शहर के रौनक में चार-चांद लगाते है. सूत काट कर अंग्रेजी हुकमत का ख़िलाफ़त करता खादी भंडार जो बापू के स्वदेशी वस्त्र के सपनों को आज भी जी रहा है, प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के व्यक्तित्व को नीव देने वाला और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के कलम को धार देने वाला लंगट सिंह कॉलेज आज भी शान से खड़ा है, और नई पीढ़ी को सींच रहा है.

Image result for ramdhari singh dinkar

कवि तो बहुत हुए लेकिन राष्ट्रकवि बस दिनकर बाबा हुए और हम तो इसी बात से गर्व में रहते है कि उसी मिट्टी ने हमें भी आत्मसार किया है, वैसे हमारा इतिहास बस आज़ादी तक ही नही सिमटा रहा, अंग्रेज के जोड़ जुल्म से मुक्त होंने के बाद जब देश लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक गुलामी के ओर बढ़ रहा था तब मुजफ्फरपुर ने जयप्रकाश नारायण के साथ हुँकार भरा और दिल्ली की हुकमत को हिला कर रख दिया, सिहांसन खाली करो कि जनता आती है- ये नारे यहीं सबसे पहले गूंजे, आपातकाल और अराजकता से हुए जंग में मुजफ्फरपुर के कई कांतिकारी लोगों ने जिंदगी खपा दी, आपातकाल और मुजफ्फरपुर से जुड़ी कई रोचक बातें है जिसका जिक्र फिर कभी करेंगे, फिलहाल इतना लिखूंगा वीरों की धरती रही है मुजफ्फरपुर. गर्व से इठलाओ और सीना चौड़ा कर के कहिये की हम मुजफ्फरपुर वाले है, हमने अंग्रजो को धूल चटाया है और अराजकता के खिलाफ जब भी जंग हुई है, सीना ठोक कर मुकाबला किया है, और करते रहेंगे.. कहानी अभी और भी है बहुत कुछ है मुजफ्फरपुर में फिलहाल इतना ही लिख रहा हूं, मगर आगे भी ये कलम रुकेगी नही.. पढ़ते रहिये मुजफ्फरपुर नॉउ

Image result for khudiram bose

join-muzaffarpur-now-on-telegram

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...