चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत 31 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ हाेगी। इसके बाद एक नवंबर काे खरना, 2 काे अस्तांचलगामी सूर्य काे अर्घ्य व 3 नवंबर काे उगते हुए सूर्य काे अर्घ्य के बाद व्रती पारण करेंगे। इसके ठीक पांच दिन पहले दीपावली का पर्व धूम-धाम से मनाया जाएगा। 25 काे धनतेरस एवं 27 अक्टूबर काे दीपावली का पर्व मनेगा। दिवाली और छठ पर्व लाेगाें के लिए सबसे बड़ी आस्था  के पर्व माने जाते हैं। मनाेकामना मंदिर के प्रधान पुजारी व ज्याेतिषविद् पं. रमेश मिश्र बताते हैं कि दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। उन्हाेंने बताया कि छठ पूजा के पहले दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय-खाय हाेगा। इस दिन व्रती स्नान आदि के बाद नए वस्त्र धारण कर भोजन करते हैं। इसके दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी यानी खरना काे व्रती अन्न व जल ग्रहण किए बिना उपवास रखकर संध्या में चावल व गुड़ से खीर बनाकर बिना नमक व चीनी के इस्तेमाल के घी लगी रोटी प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।संध्या अर्घ्य के दिन विशेष ताैर पर ठेकुआ  के साथ प्रसाद व फल बांस के डाला में सजाकर नदी व तालाब किनारे व्रती सूर्याेपासना कर अर्घ्य देते हैं।

मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश के साथ प्लास्टर ऑफ़  पेरिस व चांदी की मूर्ति का बढ़ा क्रेज

जैसे-जैसे दीपाेत्सव का त्याेहार नजदीक आ रहा है, उसी तरह लाेगाें के मन में घराें काे सजाने के लिए भी नए-नए विचार आ  रहे हैं। हर व्यक्ति इस बार कुछ अलग करने की चाह में है। बाजार में जहां एक ओर  परंपरागत मूर्तिकार लक्ष्मी व गणेश की प्रतिमा काे अंतिम रूप देने में जुटे हैं, वहीं बाजार में प्लास्टिक ऑफ़  पेरिस की मूर्तियाें के साथ चांदी के गणेश व लक्ष्मी की प्रतिमा की भी डिमांड हाे रही है। मिट्टी की प्रतिमा की तुलना में हल्की व सस्ती हाेने के कारण भी लाेग प्लास्टिक ऑफ़  पेरिस से बनी चमकीली व मजबूत प्रतिमा काे पसंद कर रहे हैं। शहर में राजस्थान व काेलकाता समेत विभिन्न राज्याें से प्रतिमाएं मंगाई जा रही हैं। दीपावली में जहां दीयों, इलेक्ट्रॅानिक बल्बों व झालरों से घर को राेशन किया जाता है, वहीं गणेश व मां लक्ष्मी का स्वागत कर श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना भी करते हैं। ऐसे में लक्ष्मी व गणेश की प्रतिमाओं से अब बाजार सजने लगा है। खासकर गणेश लक्ष्मी की अलग-अलग मुद्राएं व मनमोहक स्वरूप बाजार में पसंद की जा रही हैं।

धनतेरस के लिए चांदी की मूर्तियाें की लाेग करा रहे एडवांस बुकिंग

मूर्ति चमकदार होने के साथ मिट्टी की अपेक्षा हल्की व सस्ती भी हैं। मिट्टी की प्रतिमाओ का क्रेज भी बाजार में बरकरार है। युवा पीढ़ी जहां चमकदार व चांदी की मूर्ति पसंद कर रहे हैं ताे पुराने लाेग परंपरागत तरीकाें से मिट्टी से बनी प्रप्रतिमाओ की ज्यादा डिमांड कर रहे हैं। साेनारपट्टी के एक दुकानदार ने बताया, इस बार चांदी की 1500 से 2500 तक की मूर्ति के लिए ग्राहक पहुंच रहे हैं। वैसे दुकान में गणेश व लक्ष्मी की एक हजार से 40 हजार तक की प्रतिमाएं उपलब्ध हैं। ग्राहकाें ने धनतेरस के के लिए मू्र्ति की एडवांस बुकिंग भी करा रखी है। इधर, आमगोला  निवासी मूर्तिकार बबलू पंडित का कहना है, मिट्टी समेत निर्माण सामग्री के मूल्याें में लगातार हाे रही बढ़ाेतरी के कारण मूर्ति के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। जिसके कारण पहले की तुलना में मिट्टी की मूर्तियां सीमित रूप बनाई जा रही हैं।

इनपुट : दैनिक भास्कर 

 

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