छठ पूजा एक प्राचीन महोत्सव है, जिसे दिवाली के बाद छठे दिन मनाया जाता है। छठ पूजा को सूर्य छठ या डाला छठ के नाम से भी संबोधित करते हैं। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत देश के विभिन्न महानगरों में हम छठ मनाते हैं। वैसे तो लोग उगते हुए सूर्य को प्रणाम करते हैं, लेकिन छठ पूजा एक ऐसा अनोखा पर्व है, जिसकी शुरुआत डूबते हुए सूर्य की आराधना से होती है। ‘छठ’ शब्द ‘षष्ठी’ से बना है, जिसका अर्थ ‘छह’ है, इसलिए यह त्योहार चंद्रमा के आरोही चरण के छठे दिन, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष पर मनाया जाता है। कार्तिक महीने की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक मनाया जाने वाला ये त्योहार चार दिनों तक चलता है। मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन की जाती है।

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इसका रहस्य समझते हैं। इस त्योहार में भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसका अर्थ क्या है? यहां जल देने से सूर्य के पास पहुंच जाएगा? नहीं। इसका दार्शनिक अर्थ है-जीवन और पृथ्वी का आधार सूर्य ही हैं। यह सूर्य को आभार व्यक्त करने की परम्परा है। पहले प्रतिनित्य सूर्य को अर्घ्य देकर सभी पूजा शुरू की जाती थी।

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छठ में जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जल या आप: (संस्कृत) का एक अर्थ प्रेम भी है। जल प्रेम का प्रतीक भी है। ‘आप्त’ एक शब्द है, जो ‘आप:’ से बना है। आप्त का अर्थ है, ‘जो बहुत प्रिय हो।’

इसका त्योहार का उद्देश्य सूर्य से अपनेपन और निकटता को महसूस करना है। सूर्य को जल अर्पित करने का अर्थ है कि हम संपूर्ण हृदय से आपके (सूर्य के) आभारी हैं और यह भावना प्रेम से उत्पन्न हुई है।

इसमें दूध से भी अर्घ्य देते हैं। दूध पवित्रता का प्रतीक है। दूध को पानी के साथ अर्पित किया जाना इस बात को दर्शाता है कि हमारा मन और हृदय दोनों पवित्र बने रहें।

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सूर्य इस ग्रह पर सभी आहार का स्रोत है। यह सूर्य ही है, जिसके कारण ऋतुएं और वर्षा आती है। सूर्य इस ग्रह पर जीवन का निर्वाहक हैं। सूर्य के प्रति कृतज्ञता की गहन भावना के साथ प्रसाद बनाया जाता है। सब्जियों, मिठाइयों और विभिन्न खाद्य पदार्थों को सूर्य को यह कहते हुए अर्पित किया जाता है कि ‘यह सब आपका है, यहां मेरा कुछ भी नहीं है।’

सूर्यास्त और सूर्योदय के समय पूरा परिवार सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पानी में उतरता है। जल हथेलियों में रखा जाता है और सूरज को देखते हुए, जल को धीरे-धीरे अर्पित किया जाता है। सुबह और शाम के समय सूर्य को देखने का महत्व पूरे विश्व में बताया गया है और विज्ञान यह मानता है कि यह शरीर में विटामिन डी उत्पन्न करने के लिए सूर्य आवश्यक हैं। सुबह और शाम के समय सूर्य का अवलोकन करने से शरीर में सूर्य की ऊर्जा अवशोषित करने में मदद मिलती है। यह बुद्धि को तीक्ष्ण और सबल करता है। कुछ ऐसे भी हैं, जो बिना खाना खाए भी अपनी पूरी जिंदगी सूर्य की ऊर्जा पर टिके रहते हैं।

नित्य सूर्य को अर्घ्य देने से भी शरीर में ऊर्जा का अवशोषण होता है। जीवन निर्वाहक सूर्य को सच्चे मन से आभार की अभिव्यक्ति करना ही छठ पूजा है। यह व्रत दर्शाता है की हम अपने अस्तित्व के लिए सूर्य के ऋणी हैं। जाति, पंथ और धन की सीमाओं को पार करते हुए, लोग इस सुंदर त्योहार को मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

छठ में हम जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। जल या आप: का एक अर्थ प्रेम भी है। जल प्रेम का प्रतीक भी है। ‘आप्त’ एक शब्द है, जो ‘आप:’ से बना है। आप्त का अर्थ है, ‘जो बहुत प्रिय हो।’

सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है, क्योंकि वे पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं। उनके आलोक को अपनी चेतना में धारण करने से जीवन प्रकाशित हो उठता है। छठ व्रत इन्हीं जीवनदायी सूर्य देव को आभार प्रकट करने का महापर्व है, जिसमें पूरा समाज बिना किसी भेदभाव के साथ सामूहिक रूप से उनकी आराधना करता है।

Input : Hindustan

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