पटना. 16 नवंबर को जब नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली तो उनके साथ सुशील कुमार मोदी ( Sushil Kumar Modi) बतौर डिप्टी सीएम नहीं थे. भाजपा नेताओं ने उनकी जगह तार किशोर प्रसाद एवं रेणु देवी (Tar Kishore Prasad and Renu Devi) को डिप्टी सीएम बनाया. शपथ ग्रहण समारोह के बाद जब पत्रकारों ने नीतीश कुमार से सुशील मोदी के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं सुशील जी को मिस करुंगा. सत्ता के गलियारे में इसे दो गहरे दोस्तों के जुदा होने को लेकर देखा जाने लगा. लेकिन, नयी सरकार बनने के दो दिन बाद ही सीएम नीतीश ने अपनी दोस्ती निभाई है और सुशील मोदी को नई जिम्मेदारी सौंप कर उन्हें अपने साथ ही रखने की व्यवस्था कर ली है.

सीएम नीतीश ने अब सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ ही पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा को विधान भवन में ठिकाना मुहैया करा दिया है. विधान परिषद के दोनों वरिष्ठ सदस्यों को अलग-अलग समितियों का अध्यक्ष बनाया गया है. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को आचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं पूर्व मंत्री संजय झा को याचिका समिति की जिम्मेदारी दी गई है.

विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. दोनों समितियां विधान परिषद की स्थाई है और महत्वपूर्ण समितियां हैं. बता दें कि विधान सभा सत्र के दौरान विधानमंडल के किसी सदस्‍य या अधिकारियों के खिलाफ भी काम में किसी प्रकार की लापरवाही की शिकायत पर आचार समिति के अध्‍यक्ष पर कार्रवाई की जिम्‍मेदारी होती है.

गौरतलब है कि जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद आचार समिति के अध्यक्ष नीतीश कुमार बनाए गए थे. इससे पहले आचार समिति के अध्यक्ष पूर्व शिक्षा मंत्री पीके शाही और विधान परिषद के पूर्व वरिष्ठ सदस्य रामबचन राय रह चुके हैं.

अवधेश नारायण सिंह की इस पहल से दोनों वरिष्ठ नेताओं को विधान भवन में अस्थाई रूप से बैठने का ठिकाना मिल गया है. हालांकि यह भी चर्चा है कि मंत्री नहीं बनाए जाने की सूरत में इन दोनों ही नेताओं का सरकारी बंगला न छिन जाए, सीएम नीतीश ने इसलिए यह किया है.

Source : News18

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