मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को मीडिया को भी अतिरेक से बचने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी भाषा पर संयम रखना चाहिए। संवेदनशील होना चाहिए। आप किसी के विचार से असहमत हो सकते हैं, किंतु इसके चलते आपस में तनाव नहीं होना चाहिए।

नीतीश कुमार ने कहा कि हर किसी को दूसरे की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। दूसरे के विचारों को सम्मान देना चाहिए। समाज में प्रेम-सद्भाव एवं भाईचारे का माहौल बनाए रखना है। हमने कभी किसी की मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। हम जनहित के काम में पूरी निष्ठा से करते हैं। सेवा ही हमारा धर्म है।

मंगलवार की शाम एक समाचार चैनल की ओर से पूछे गए सवाल और उसके जवाब को लेकर शुरू हुए विवाद के संदर्भ में नीतीश कुमार ने यह नसीहत दी।

उसके बाद नीतीश कुमार ने गांधी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम अपना प्रचार नहीं करते। उन्होंने कहा कि जो काम नहीं करता वह केवल प्रचार करता है। लेकिन जिन्हें मेरी जितनी आलोचना करनी है, कीजिए।

बुधवार को गांधी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में गुस्सा झलका। उन्होंने मंगलवार की शाम को कुछ मीडिया चैनलों द्वारा उनके खिलाफ अभद्र भाषा के प्रयोग पर कहा कि उन्हें प्रचार पर भरोसा नहीं, बल्कि काम करते हैं। लेकिन जो लोग काम नहीं करते वे अपना प्रचार ख़ूब करते हैं।

नीतीश ने कहा कि हम मीडिया वालों से प्रेम करते हैं लेकिन मंगलवार की शाम जब कार्यक्रम में भाग लेने गए तो कुछ मीडिया वाले चिल्लाने लगे और कैसी-कैसी भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने साफ किया कि लोगों को उनकी आलोचना का अधिकार है और वे उसका स्वागत भी करते हैं। नीतीश ने कहा कि ‘मीडिया वाले को हम  प्रणाम करते हैं, क्या-क्या लैंग्वेज है भाई.’

दरअसल जब मंगलवार को पटना में हुए जल जमाव को लेकर पम्पिंग हाउस का निरीक्षण कर एक कार्यक्रम में पहुंचे तो कुछ पत्रकार उनसे चिल्ला-चिल्लाकर सवाल पूछने लगे। नीतीश ने कहा ‘तो भाई आखिर इसका क्या अर्थ होने वाला है? कहां ले जाना चाहते हैं समाज को, किस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं?

नीतीश कुमार ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपको कोई भ्रम है क्या कि आपकी भाषा के प्रयोग करने से कुछ होता है? कुछ नहीं होता है। जनहित में जनता के हित में जो काम किया जाता है हम उसके लिए पूरे तौर पर समर्पित हैं। हम प्रचार के लिए समर्पित नहीं हैं और आज के युग में जो काम नहीं करता है, वो अपना प्रचार खुद करवाता है।’

उसके बाद नीतीश ने कहा कि ‘जितनी मेरी आलोचना करना है, मन से कीजिए, लेकिन थोड़ा समाज का भी ख्याल कीजिए। हम सबसे अपील करेंगे मेरे खिलाफ, मेरे जैसे व्यक्ति को डुबाने के लिए जो कहना है कीजिए लेकिन इतना जरूर है कि समाज में प्रेम का भाव नहीं आना चाहिए। आजकल समाज में जो टकराव की स्थिति और तनाव की स्थिति पैदा की जा रही है, इसमें क्या रोल नहीं है?

आप लोग किस तरीके की भाषा बोल रहे हैं? इस तरीके की भाषा बोलने से क्या समाज सुधर सकता है? समाज आगे बढ़ सकता है? ज़रूर कमियों को उजागर कीजिए इसमें कोई श़क नहीं. समाज में थोड़ा सौहार्द बनाना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि ‘आज तक मैंने किसी की मर्यादा पर असर डालने की कोशिश नहीं की है। हम तो यही कोशिश करते हैं कि सब लोगों की मर्यादा रहे। आप दूसरे के विचार से असहमत हों, सबका अपना अधिकार है लेकिन विचार से असहमत होने का मतलब यह नहीं है कि इस तरीके का वातावरण और व्यवहार करना चाहिए कि दोनों के बीच झगड़ा हो। अपने विचारों को जरूर रखें, लेकिन असहमत हैं तो झगड़ा मत कीजिए।

ऐसा लिखवाएं गांधी के विचार कि मेरे बाद भी कोई उन्हें उखाड़ न सके

ज्ञान भवन में गांधी विचार समागम कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने बापू ने सात सामाजिक पापों की चर्चा की है। मुख्यमंत्री ने बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार को निर्देश देते हुए कहा कि सभी सरकारी भवनों में सात सामाजिक पापों को इस तरह अंकित करना चाहिए कि वह नष्ट न हों। नीतीश ने आशंका जताई कि मेरे बाद जो लोग सत्ता में आएंगे, वे इन्हें उखाड़ भी सकते हैं। इसलिए इस तरह लगाएं कि कोई मिटा न सके।

Input : Dainik Jagran

 

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