मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हम मुफ्त बिजली के पक्षधर नहीं हैं। हां, लोगों को सस्ती बिजली मिले, यह जरूरी है। बिहार सरकार लोगों को सस्ती बिजली देने के लिए हजारों करोड़ अनुदान दे रही है। हर उपभोक्ता के बिजली बिल में लिखा होता है कि उसे सरकार की ओर से कितना अनुदान मिल रहा है।
शुक्रवार को विधानसभा में ऊर्जा विभाग के आय-व्ययक के बाद सरकार की ओर से ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव जवाब दे रहे थे। इसी बीच विपक्षी सदस्य 200 यूनिट मुफ्त बिजली की मांग करने लगे। मंत्री के जवाब पर हस्तक्षेप करते हुए सीएम ने कहा कि सदन के अंदर और बाहर हम लगातार कहते रहे हैं कि लोगों को मुफ्त बिजली नहीं दी जानी चाहिए। हम तो चुनाव में भी यह कहते रहे हैं। मुफ्त बिजली की मांग करने वालों को पता होना चाहिए कि लोगों को किस दर पर बिजली मिल रही है और सरकार कितना अनुदान देती है। विपक्ष की ओर से देश के अन्य राज्यों द्वारा मुफ्त बिजली दिए जाने की मांग उठाए जाने पर सीएम ने कहा कि पैसा लगने पर लोगों में सुरक्षा की भावना रहती है। हम गरीबों को सस्ती बिजली देते हैं। किसानों को मात्र 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली दी जा रही है।
इससे पहले ऊर्जा विभाग की उपलब्धियां गिनाते हुए ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि अब शहरी क्षेत्र में 23-24 घंटे तो ग्रामीण इलाकों में 21-22 घंटे बिजली दी जा रही है। डेडिकेटेड फीडर से किसानों को आठ घंटे बिजली दी जा रही है। खेती के समय किसानों को 16 घंटे तक बिजली दी गई है। इतिहास में पहली बार बिजली कंपनी ने 215 करोड़ का लाभ अर्जित किया है। चालू वित्तीय वर्ष में भी कंपनी मुनाफा अर्जित करेगी। मुनाफा के कारण ही कंपनी ने तकनीकी एवं व्यावसायिक नुकसान मद में 1740 करोड़ की मांग नहीं की है। यह राशि बिहार के विकासात्मक कार्यों पर खर्च होगी।
मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष की अनुपस्थिति में 11 हजार 422 करोड़ का बजट पारित हो गया। विभाग पर हुए वाद-विवाद में अख्तरूल इस्लाम शाहीन, राजीव कुमार, प्रमोद कुमार, भूदेव चौधरी, ललित नारायण मंडल, प्रतिमा कुमारी, जयप्रकाश यादव, संदीप सौरभ, संगीता कुमारी, मुरारी मोहन झा, ज्योति देवी, अजय कुमार, सूर्यकांत पासवान, नीतू कुमारी, अख्तरूल ईमान, लखेन्द्र कुमार रोशन और रत्नेश सादा ने अपने विचार रखे।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि संविधान में सारी शक्ति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री में निहित है। मंत्री केवल सहयोग करने के लिए होते हैं। देश में काम का श्रेय प्रधानमंत्री को तो राज्य में मुख्यमंत्री को है। नौवीं पास को क्या पता है, कोई परीक्षा तो दी नहीं। आज राजनीति में वचन और कर्म में अंतर है। इस तरह की राजनीति होगी तो देश कैसे चलेगा। उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि राज्य का तेजी से विकास हो, इसके लिए बिहार को या तो विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज दिया जाए।
Source : Hindustan