जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर बेगूसराय के पिंटू कुमार सिंह का मुजफ्फरपुर से गहरा नाता रहा है। उन्होंने यहीं से स्नातक किया। उनकी पत्नी अर्चना सिंह बेटी के साथ यहीं रहती थीं। सूचना मिलने ही वे परिजन के साथ रवाना हो गईं।
शहीद पिंटू के साले कन्हैया सिंह ने बताया कि 2009 में पहली पोस्टिंग मोतिहारी में हुई थी। दो साल पहले कश्मीर गए थे। बहनोई की शहादत पर फूट-फूटकर रो-रहे कन्हैया ने सरकार से पूछा कि आखिर कब तक हमारे जवान सीमा पर शहीद होते रहेंगे? ये आतंकवादी हमारे घर में घुसकर गोली मारते हैं।
कई नेता उल्टे सुबूत मांगते हैं। वैसे नेताओं से हमें पहले निपटना होगा, जो हमारे देश के खिलाफ बोलते हैं। हमारे जवानों के आत्मविश्वास को कमजोर करने का काम करते हैं। सीमापार आतंकवादियों से पहले हमें अपने देश के अंदर छुपे बहुरूपियों से निपटने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरूर इस पर गौर करेंगे। जिस वजह से घुसपैठ होती है, उसको सभी जानते हैं।
दो साल से मुजफ्फरपुर में बेटी के साथ रह रही थीं पत्नी अर्चना
शहीद पिंटू की पत्नी अर्चना बेटी पीहू और भतीजे के साथ दो साल से किराये के मकान में रह रही थीं। माड़ीपुर स्थित शिक्षक संघ गली में सीआरपीएफ अधिकारी मदन कुमार के घर में किराये पर फ्लैट ले रखा है। पूर्व में मोतिहारी में पोस्टिंग के कारण पिंटू ने परिवार को मुजफ्फरपुर में ही रखा था।
यहां उनकी बेटी मोहल्ले के ही एक स्कूल में पढ़ती है। घटना की सूचना पर परिजन यहां पहुंचे। उन्होंने अर्चना को पिंटू के घायल होने की सूचना दी। शनिवार की सुबह सभी को लेकर गांव चले गए। पिंटू पांच भाइयों अमरेश सिंह, मिथिलेश सिंह, इंद्रेश सिंह और मनीष सिंह के बाद थे।
शहीद पिंटू ने एलएस कॉलेज से की थी पढ़ाई
लंगट सिंह महाविद्यालय (एलएस) के ड्यूक हॉस्टल में रहकर शहीद पिंटू ने पढ़ाई पूरी की थी। उनके एक सहपाठी राजीव कुमार ने बताया कि वे सबसे पहले हॉस्टल के फस्र्ट फ्लोर वाले रूम नंबर 23 में रहते थे। फिर ऊपरी मंजिल के रूम नंबर 56 में रहे। 2002-03 में उन्होंने केमिस्ट्री ऑनर्स में नामांकन लिया था। राजीव ने बताया कि पिंटू सामाजिक और मिलनसार प्रवृत्ति के थे। छाता चौक पर एक होटल में खाना खाते थे। उनके साथ करीब सालभर रहने के बाद राजीव अपने गांव वैशाली लौट गए।
नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के हीरो रहे पिंटू
ड्यूक हॉस्टल में रह रहे कॉलेज छात्रसंघ के काउंसिल मेंबर ठाकुर प्रिंस ने बताया कि शहीद पिंटू मुजफ्फरपुर में 2014 में भी पदस्थापित रहे। तब तत्कालीन अभियान एसपी के नेतृत्व में उन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
Input : Dainik Jagran