बिहार में कोरोना वायरस एक बार फिर लौटता दिखाई दे रहा है। लगभग 14 महीने के लंबे अंतराल के बाद पटना में कोविड-19 के दो नए मामलों की पुष्टि हुई है। दोनों मरीजों का इलाज शहर के पारस अस्पताल में किया गया, जहां सर्दी, खांसी और सांस की तकलीफ के लक्षणों के बाद जांच कराई गई थी।

अस्पताल के डॉक्टर प्रकाश सिन्हा के अनुसार, दोनों मरीजों के ऑक्सीजन स्तर में गिरावट देखी गई, जिसके चलते कोरोना टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद एक मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया, जबकि दूसरा ओपीडी से ही वापस भेज दिया गया। भर्ती मरीज की हालत में सुधार होने पर उसे तीन दिनों के भीतर डिस्चार्ज कर दिया गया।

इसी बीच, कंकड़बाग स्थित एक निजी लैब में भी एक मरीज ने पुष्टि के लिए दोबारा जांच कराई, जिसमें वह फिर से पॉजिटिव पाया गया। लैब के डॉक्टर कमलेश कुमार ने बताया कि मरीज ने 22 मई को सैंपल दिया था।

वर्तमान में पटना के किसी भी सरकारी अस्पताल में कोरोना की नि:शुल्क जांच की व्यवस्था नहीं है। सिविल सर्जन कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में सरकार से कोई आदेश नहीं आया है। आदेश मिलते ही फिर से मुफ्त जांच की शुरुआत की जाएगी।

इधर, निजी लैब में जांच कराने पर 1000 से 1400 रुपये का खर्च आता है, जिससे लक्षण वाले कई लोग भी जांच कराने से हिचक रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते मौसम में सर्दी-खांसी जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें और भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनना फिर से शुरू कर देना चाहिए।

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