कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए नीतीश सरकार ने बिहार के सभी अनुमंडलीय अस्पतालों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया है। शुक्रवार से ही इन अनुमंडल अस्पतालों में सामान्य मरीजों का इलाज प्रतिबंधित कर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की फौरी राहत के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुछ ओपीडी चलते रहेंगे, जहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं और सर्दी-खांसी जैसे मामूली रोगों की जांच और इलाज हो सकेगा। स्वास्थ्य विभाग ने सरकार के फैसले की जानकारी सभी जिला अधिकारी, क्षेत्रीय अपर निदेशकों और शल्य चिकित्सा सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारियों को दे दी है। साथ ही स्‍पष्‍ट निर्देश है कि किसी भी कोरोना के संदिग्‍ध मरीज को कोई परेशानी नहीं हो तथा उसके इलाज में कोताही नहीं की जाए।

स्वास्थ्य के प्रधान सचिव संजय कुमार ने शुक्रवार को जारी पत्र में कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सभी अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल में पहले पांच बेड के आइसोलेशन वार्ड बनाने की निर्देश थे, परंतु राज्य में संदिग्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही अब तक नौ संक्रमित भी मिल चुके हैं। इस वजह से सरकार ने सभी 55 अनुमंडल अस्पतालों को आइसोलेशन वार्ड के रूप में विकसित करने का फैसला किया है।

प्रधान सचिव ने कहा कि जिलों में जितने भी डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात उन सबको तत्काल प्रभाव से अनुमंडल अस्पतालों में प्रतिनियुक्त किया जा रहा है। अब अनुमंडल अस्पतालों में कोरोना के अतिरिक्त दूसरे मर्ज की इलाज नहीं होगा। यह सुविधा सिर्फ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मिलेगी।

पीएचसी व एपीएचसी में भी सिर्फ गर्भवती महिलाओं और सामान्य सर्दी जुकाम का इलाज ही होगा। इसलिए कुछ डॉक्टर इन केंद्रों पर भी रहेंगे। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अनुमंडल अस्पतालों में जो चिकित्सा कर्मी तैनात किए जा रहे हैं जो डॉक्टर हैं उन सबको पर्सनल प्रोटेक्शन किट एन-95 मास्क, दस्ताना जैसी चीजें मुहैया करा दी जाए।

Input : Dainik Jagran

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