गुवाहाटी. कोरोना महामारी के दौर में कई ऐसी कहानियां हैं जो न सिर्फ प्रेरणा दे रही हैं, बल्कि बुरे वक्त में कैसे दूसरों के काम आया जाए ये सिखा रही हैं. एक ऐसी ही कहानी आई है असम के राहा के भाटीगांव से. यहां एक बहू अपने कोरोना से संक्रमित ससुर को कंधे पर उठाकर अस्पताल ले गई, ताकि उनका इलाज समय पर हो सके.
बताया जा रहा है कि 75 वर्षीय थुलेश्वर दास का बेटा सूरज शहर में नौकरी करता है. बेटे की अनुपस्थिति में बहू निहारिका ही अपने ससुर की देखभाल करती है. पिछले दिनों जब थुलेश्वर दास कोरोना से संक्रमित हो गए तो डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया. घर से अस्पताल कुछ दूरी पर था, निहारिका ने ससुर को ले जाने के लिए लोगों को खोजने की कोशिश की जब उसे कोई नहीं मिला तो उसने खुद जिम्मा उठाया.
In an amazing display of women-power today, Niharika Das, a young woman from Raha, carried her COVID positive father-in-law, Thuleshwar Das, on her back while taking him to the hospital. However, she too tested positive later.
I wish this inspiration of a woman a speedy recovery. pic.twitter.com/pQi6sNzG0I— Aimee Baruah (@AimeeBaruah) June 4, 2021
खुद भी हो गईं कोरोना संक्रमित
निहारिका ने अपने कंधों पर ससुर को उठाया और अस्पताल ले गई. पर ऐसा करने वाली निहारिका भी कोविड से ग्रस्त हो गई. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी ने थुलेश्वर को ज़िला कोविड केयर सेंटर पर ले जाने को कहा जबकि निहारिका को अपने घर पर ही रहकर इलाज कराने का सुझाव दिया. लेकिन निहारिका अपने ससुर को अकेले अस्पताल में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुई.बाद में, डॉक्टर संगीता धर और एक स्वास्थ्यकर्मी पिंटू हीरा ने दोनों का शुरुआती इलाज करने के बाद उन्हें 108 नंबर एम्बुलेंस से नगांव भोगेश्वरी फुकनानी सिविल अस्पताल के कोविड वार्ड में भेज दिया. राहा की निहारिका दास ने अपने ससुर के प्रति मुश्किल समय में जिस तरह की उत्तरदायित्व का परिचय दिया है उससे लोगों में काफ़ी ख़ुशी है.
https://twitter.com/hiiamdevd/status/1400685295444455424?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1400685295444455424%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.sentinelassam.com%2Fnorth-east-india-news%2Fassam-news%2Fphoto-of-woman-carrying-covid-father-in-law-on-her-back-to-hospital-in-assam-speaks-volumes-541367
सोशल मीडिया पर निहारिका के साहस की कहानी वायरल हो रही है. यूजर्स का कहना है कि रूढ़ीवादी समाज में बहू और बेटियों को समान दर्जा दिए जाए या नहीं लेकिन बहुएं अपने कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटती हैं.
Nothing to rejoice actually . It reflects the dilapidating infrastructure ,which compelled her to do so
— Dr geeta Dutta (@DrgeetaDutta1) June 4, 2021
Source : News18