मंदिर व कब्रिस्तान की तर्ज पर श्मशान की भी घेराबंदी होगी। विधायक अपने ऐच्छिक कोष से सीएम क्षेत्र विकास योजना के तहत श्मशान की घेराबंदी करा सकेंगे। सरकार इस प्रस्ताव पर जल्द ही विचार कर कोई निर्णय लेगी। बुधवार को शमीम अहमद के सवाल पर प्रभारी मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने विधानसभा में इसकी घोषणा की।
शमीम अहमद ने तारांकित प्रश्न में पूर्वी चम्पारण में एक कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं होने का मामला उठाया। इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि डीएम व एसपी की ओर से संवेदनशील कब्रिस्तानों की सूची तैयार की जाती है। संवेदनशीलता के आधार पर प्राथमिकता सूची बनी हुई है और उसी के आधार पर कब्रिस्तानों की घेराबंदी होती है। इस पर सदस्य ने कहा कि अगर सरकार की नजर में कोई कब्रिस्तान संवेदनशील नहीं है तो उसे क्यों नहीं सूची से हटा देती है ताकि विधायक अपने ऐच्छिक कोष से उसकी घेराबंदी करा सकें। आखिरकार सदन में ही सरकार ने घोषणा कर रखी है कि विधायक अपने कोष का इस्तेमाल कर कब्रिस्तान की घेराबंदी करा सकते हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि इसका प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस पर हरिभूषण ठाकुर बचौल, संजय सरावगी, आलोक कुमार मेहता, ललित यादव सहित पक्ष-विपक्ष के कई सदस्य अपनी सीट पर खड़े हो गए। बचौल ने कब्रिस्तान की तर्ज पर श्मशान की घेराबंदी करने की मांग की। इस पर मंत्री ने कहा कि नदी किनारे श्मशान घाट का निर्माण सरकार करा रही है। लेकिन बिहार के कई इलाकों में लोग अपनी जमीन पर ही परिजनों का दाह-संस्कार करते हैं।
ऐसे में उसकी घेराबंदी कैसे की जा सकती है। मंत्री ने खुद अपना ही उदाहरण दिया। इस पर पक्ष-विपक्ष के सदस्य शोरशराबा करने लगे। तब सभाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के हस्तक्षेप पर मंत्री ने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी।
Source : Hindustan