मिथिला पेंटिंग की धूम इन दिनों अमेरिका के सिएटल में है। इसका श्रेय दरभंगा की बेटी दीप्ति अग्रवाल को जाता है। वह छह साल से मिथिला पेंटिंग को बढ़ावा देने की मुहिम में जुटी है। दीप्ति डिजायंस स्कूल ऑफ आर्टस से अमेरिकी बच्चों व वयस्कों को मिथिला पेंटिंग का प्रशिक्षण दे रही है। वह अमेरिका के कई शहरों में भी मिथिला पेंटिंग की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। मिथिला पेंटिंग की बढ़ती लोकप्रियता देख वाशिंगटन राज्य की सरकार ने इसके प्रसार के लिए दीप्ति से अनुबंध किया है। उसे वित्तीय सहायता मुहैया कर रही है।
2010 में अमेरिका गई दीप्ति
दरभंगा के बेला गार्डेन निवासी दीप्ति ने यहां से इंटर तक की पढ़ाई की। फिर बेंगलुरू से ग्रेजुएशन व एमबीए करने के बाद दो साल तक कॉरपोरेट सेक्टर में काम किया। 2010 में शादी आगरा के इंजीनियर निर्देश मित्तल से हुई। निर्देश अमेरिका में नौकरी कर रहे थे। दीप्ति भी अमेरिका चली गई। वहां दो साल तक मल्टी नेशनल कंपनियों में काम करने के बाद मिथिला पेंटिंग को कार्यक्षेत्र बना लिया। अब लोक कला को बढ़ावा देने में जुटी हैं।
मिथिला पेंटिंग की ऑनलाइन क्लास
दीप्ति ऑनलाइन क्लास भी चला रही है। इससे अमेरिका, इंग्लैंड, भारत, खाड़ी देशों, मलेशिया, हांगकांग, आस्ट्रेलिया के एक हजार से अधिक लोग मिथिला पेंटिंग सीख रहे हैं।
गरीब बच्चों को सहयोग
दीप्ति और उनकी टीम कला प्रदर्शनी से होने वाली आय से गरीब बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य में मदद कर रही है। हाल में दीप्ति की 15 वर्षीय भारतीय मूल की प्रशिक्षणार्थी काव्या सेल्वा कुमार ने पचास से अधिक पेंङ्क्षटग की प्रदर्शनी लगाई। करीब चार हजार डॉलर (2 लाख 80 हजार रुपये) जमा हुए। इसे सीड्स डॉट ओरजी नामक संस्था के जरिए दक्षिण भारत के गरीब बच्चों के समर्पित किया गया।
विरासत में मिथिला पेंटिंग का हुनर
स्थानीय बेला गार्डेन निवासी पिता रजत अग्रवाल व माता प्रीति अग्रवाल वर्षों से मिथिला पेंङ्क्षटग से जुड़े हैं। घर मंं बचपन से मिथिला पेंटिंग कला सीखने का मौका मिला।