राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस बात को लेकर हैरानी जाहिर की है कि सरकार ने जब PUBG गेम पर रोक लगा दी है तो अब भी बच्चे उसे कैसे खेल रहे हैं. आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से इस बात का जवाब मांगा है कि भारत में प्रतिबंधित PUBG गेम बच्चों को अब भी कैसे हासिल हो रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से देश में प्रतिबंधित कर दिए गए PUBG गेम तक अभी भी बच्चों की पहुंच होने के बारे में ये सवाल किया है. गौरतलब है कि हाल ही में लखनऊ में एक दुखद घटना सामने आई थी, जिसमें PUBG गेम खेलने से मना करने पर नाराज होकर 16 साल के एक लड़के ने अपनी मां की कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद ही अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग इस मामले को लेकर सतर्क हुआ है और उसने आईटी मंत्रालय से इसके बारे में सफाई मांगी है.

आईटी मंत्रालय को भेजे गए अपने पत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस बात को लेकर हैरानी जाहिर की है कि कैसे एक गेम जिस पर सरकार ने रोक लगा दी है और उसे भारत में ब्लॉक कर दिया है, अभी भी नाबालिगों तक उसकी पहुंच कायम है. जबकि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को लिखे गए एक दूसरे पत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि ये सामने आया है कि एक ई-स्पोर्ट के रूप में PUBG को मान्यता हासिल है. इसे एशियाई ओलंपिक परिषद से भी मान्यता है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पूछा है कि क्या इसी तरह के किसी और गेम को उनके संगठन से मान्यता हासिल है!

Source : News18

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