देवोत्थान एकादशी आठ नवंबर को है। इसके बाद शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे। पिछले साल की तुलना में इस बार सात दिन विवाह की तिथि कम है। 19 नवंबर से विवाह शुरू हो जाएगा। कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन तुलसी विवाह भी होता है।

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह के बाद विश्राम के बाद जगते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इसी दिन से गृह प्रवेश, मुंडन और विवाह जैसे सभी मंगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन संध्या काल में तुलसी के वृक्ष और शालीग्राम के साथ विवाह संपन्न कराया जाता है। तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहते हैं। इसलिए देवता जब जगते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। तुलसी विवाह का अर्थ है, तुलसी के माध्यम से भगवान का आवाहन करना।

 

फरवरी में सबसे अधिक 19 दिन होंगी शादियां 
पुजारी सौरभ ने बताया कि पिछले साल 63 दिनों तक विवाह की तिथि थी। इस बार 56 दिन ही विवाह का शुभ मुहूर्त है। इसकी शुरुआत 19 नवंबर से होगी। नवंबर में 20, 21, 22, 23, 24, 25, 28, 29, 30 नवंबर है। दिसंबर में पांच, छह, सात, 11, 12, जनवरी में 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 29, 30, 31 को विवाह का दिन है। फरवरी माह में तीन, चार, पांच, नौ, दस, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 25, 26, 27, मार्च माह में एक, दो, तीन, चार, सात, आठ, नौ, 10, 11, 12, 13 को शुभ मुहूर्त है।

Input : Hindustan

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