एक तो भीषण गर्मी, ऊपर से पानी का संकट। लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। एक-एक बाल्टी पानी के लिए शहर की आधी आबादी तरस रही। किसी तरह टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा। वह भी नाकाफी है, क्योंकि इनकी संख्या पर्याप्त नहीं है। शहर के एक दर्जन वार्ड ऐसे हैं, जहां जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन नहीं बिछी है। वहां के लोगों के लिए एकमात्र सहारा घरों में लगे निजी पंप एवं चापाकल थे। तेज गर्मी के चलते इनसे पानी निकलना बंद हो गया है।
इस कारण वार्ड 03, 07, 31, 32, 46, 47, 48 एवं 49 के लोग पानी के लिए तरस रहे। लोगों में निगम प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। इन इलाकों में निगम पानी के टैंकर भेज किसी तरह लोगों की प्यास बुझा रहा। हालांकि, यह नाकाफी है। कारण निगम के पास मात्र 10 से 12 वाटर टैंकर हैं। इससे वह कुछ ही क्षेत्रों में पानी पहुंचा रहा। शेष इलाके तरस रहे। टैंकरों की कमी को दूर करने के लिए नगर आयुक्त ने आपदा विभाग को पत्र लिखकर राशि की मांग की है।
98 करोड़ मिले, पर नहीं हुआ काम
शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए दो साल पहले 98 करोड़ रुपये बिहार आधारभूत संरचना निगम को मिले थे। इससे पूरे शहर में जलापूर्ति व्यवस्था करनी थी। लेकिन, यह काम पूरा नहीं हो सका।
शिकायत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं
वार्ड 31 की पार्षद रूपम कुमारी का कहना है कि निगम से जलापूर्ति की सुविधा नहीं मिल रही। अधिकांश मोहल्लों में आज तक पाइप लाइन नहीं बिछाई गई। चापाकल की सुविधा भी नहीं दी गई। पूरे वार्ड में पानी को लेकर त्राहिमाम की स्थिति है। इसकी परवाह न तो मेयर को है और न ही नगर आयुक्त को। वहीं, वार्ड 32 की पार्षद गीता देवी कहती हैं कि निगम ने यहां आज तक पाइप लाइन नहीं बिछाई। मिनी पंप की भी सुविधा नहीं दी गई। नगर आयुक्त से शिकायत के बाद भी समस्या से निजात नहीं मिली। वार्ड में पांच हजार घर हैं। सभी में पेयजल की समस्या है। लोगों में आक्रोश है।
महापौर ने कहा:वैकल्पिक व्यवस्था के तहत टैंकरों से पहुंचाया जा रहा पानी
महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि वार्डों में जाकर समस्या से अवगत हो रहा हूं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा। खराब चापाकलों की मरम्मत की जाएगी। नगर आयुक्त से बात कर समस्या से निपटा जाएगा। वहीं, उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला ने कहा कि निगम अधिकारियों को पिछले तीन माह से सचेत कर रहे थे, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। खजाने में राशि रहने के बाद भी जलापूर्ति योजना पर काम नहीं हुआ। अब संकट सामने है, तब नगर आयुक्त प्रस्ताव बना रहे।
Input : Dainik Jagran