हर साल की तरह बिहार में सबसे ज्यादा आकर्षक पंडाल बनाने में डाकबंगला चौराहे की पूजा समिति ने पूरी ताकत झोंक दी। भारी बारिश के बीच सेटरिंग डालकर कलश स्थापना करने के साथ ही समिति ने जता दिया था कि कुछ भी हो जाए, लेकिन कर्नाटक का श्रीकांतेश्वर मंदिर जैसा पंडाल यहां बनेगा जरूर। यहां लाइटिंग के जरिए दुबई का टावर भी दिखाया जा रहा है। इसमें भी देवताओं के दर्शन हो रहे हैं। इन सभी में यहां करीब 45 लाख रुपए खर्च हुए हैं। शनिवार को पंडाल खुलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मां के दर्शन किए।

शिवहर, अरवल, शेखपुरा, कैमूर, जमुई, लखीसराय, अररिया और किशनगंज…38 में से इन आठ को छोड़ बिहार के हर जिले में दुर्गापूजा पंडालों की संख्या ठीकठाक है। पटना में सबसे अधिक और उसके बाद भागलपुर और मुजफ्फरपुर में इनकी संख्या है। पटना जिले में छोटे-बड़े करीब 250 दुर्गापूजा पंडाल हैं। भागलपुर-मुजफ्फरपुर जिले में इनकी संख्या 60-60 के करीब है, जबकि 27 जिलों में औसतन 40 जगहों पर दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। खर्च के मामले में टॉप 10 में शामिल आयोजनों को मिलाकर देखें तो 10 लाख या उससे अधिक खर्च करने वाले पंडालों की संख्या भी अच्छी खासी है। 15 लाख खर्च करने वालों में जहानाबाद, भागलपुर, मधुबनी के अलावा पटना के गौड़ीय मठ, जगदेव पथ और आर. ब्लॉक बंगाली पूजा समित भी है। इसी तरह 12 लाख के करीब खर्च करने वाली समितियां किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, कटिहार में तो हैं ही, पटना के हनुमान नगर और बोरिंग केनाल रोड में भी ऐसी राशि खर्च हुई। 10 लाख या अधिक खर्च करने वाले पंडाल सीवान, पूर्णिया, सीतामढ़ी में भी हैं। वैसे, पांच लाख रुपए खर्च करने वाले पंडालों की संख्या 20 जिलों में औसतन चार है।

 

 

Input : Dainik Bhaskar

 

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