केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगाने का फैसला किया है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया. कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ई-सिगरेट समाज में एक नई समस्या को जन्म दे रहा है और बच्चे इससे अपना रहे हैं. निर्मला सीतारमण ने कहा कि ई-सिगरेट को बनाना, आयात/निर्यात, बिक्री, वितरण, स्टोर करना और विज्ञापन करना सब पर प्रतिबंध होगा. वित्त मंत्री ने प्रेस कांफ्रेस के दौरान कहा कि ‘ई-सिगरेट ऑर्डिनेंस 2019’ को मंत्रियों के समूह ने कुछ समय पहले ही इस पर विमर्श किया था. ऑर्डिनेंस के ड्रॉफ्ट में स्वास्थ मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि पहली बार कानून का उल्लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना और एक साल की सजा का प्रावधान हो.आपको बता दें कि इससे पहले बीते अगस्त में ई-सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश के बाद एक जीओएम को भेजा गया था.
अध्यादेश के मसौदे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार उल्लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ एक साल क की अधिकतम सजा का प्रस्ताव था. मंत्रालय ने बार-बार अपराध करने वालों के लिए पांच लाख रुपये का जुर्माना और अधिकतम तीन साल की जेल की सिफारिश की थी. मोदी सरकार के पहले 100 दिन के एजेंडे में ई-सिगरेट सहित अन्य वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों पर प्रतिबंध लगाना शामिल था. उधर, ई-सिगरेट का समर्थन करने वालों की दलील है कि यह धूम्रपान करने वाले तंबाकू की तुलना में कम हानिकारक है. हालांकि सरकार यह कहते हुए प्रतिबंध लगाने पर जोर दे रही है कि उसमें पारंपरिक सिगरेट के समान ही जोखिम है. शीर्ष मेडिकल शोध निकाय भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने ऐसे उपकरणों पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की थी.
क्या है ई-सिगरेट :
ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक बैटरी-चालित डिवाइस होती है, जो तम्बाकू या गैर-तम्बाकू पदार्थों की भाप को सांस के साथ भीतर ले जाती है. आमतौर पर सिगरेट, बीड़ी या सिगार जैसे धूम्रपान के लिए प्रयोग किए जाने वाले तम्बाकू उत्पादों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली ई-सिगरेट तम्बाकू जैसा स्वाद और एहसास देती है, जबकि वास्तव में इसमें कोई धुआं नहीं होता है. ई-सिगरेट एक ट्यूब के आकार में होती है, और इनका बाहरी रूप सिगरेट और सिगार जैसा ही बनाया जाता है.