बिहार में आज से 2500 साल पहले पूर्व मौर्यकाल के दौरान भी भूकंपरोधी भवन और कंक्रीट की सड़कें बनती थीं। साथ ही जलनिकासी की उत्तम व्यवस्था थी। उद्योगों का सफलतापूर्वक संचालन होता था। राजगीर (राजगृह) के 350 एकड़ में फैले किला मैदान की खुदाई में ये सारे तथ्य सामने आए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की खुदाई में इतिहास के नई-नई परत खुल रही हैं। यहां पूर्व मौर्यकालीन संरचनाएं व्यापक स्तर पर व्याप्त हैं। यह भारत में अब तक मिले पूर्व मौर्यकालीन अवशेषों में सबसे विशाल व भव्य हैं। आईआईटी गांधीनगर के वैज्ञनिकों के जीपीएस सर्वे के आधार पर खुदाई चल रही है। यहां शौचालय के भी अवशेष मिले हैं। इस तरह, नये राजगृह में स्वच्छता का भी ख्याल रखा गया था। उद्योग, रक्षा उपकरण उत्पादन, जैसी खूबियों से लैस था राजगृह। दीवारों का निर्माण इस कदर किया गया है कि सुरक्षा अभेद्य हो। पूर्व मौर्यकालीन के साथ ही, मौर्य, शुंग, कुशान व पूर्व गुप्त, गुप्त व उत्तर काल के 300 से अधिक पुरावशेष भी मिले हैं।

क्या-क्या मिले

● भारत की विशालतम और भव्य संरचनाएं

● जलनिकासी की उत्तम व्यवस्था

● औद्योगिक गतिविधियां भी चलती थी

● शौचालय के भी अवशेष,स्वच्छता का खास इंतजाम

नया इतिहास लिखने पर विवश करेगा साक्ष्य

दिसंबर 2023 से शुरू हुई खुदाई के लिए ये अवशेष महज बानगी मात्र हैं। अभी काफी कुछ मिलने की संभावना है। दर्जनभर इतिहासकारों ने कहा है कि किला मैदान की खुदाई मगध के इतिहास को फिर से लिखने पर विवश कर देगी। खुदाई में जुटे पुरातत्वविदों का मानना है कि यहां ईसा पूर्व सातवीं सदी तक या उससे पहले के भी अवशेष मिल सकते हैं।

खुदाई में करीब 2500 साल पूर्व की संरचनाओं के अवशेष मिले हैं। हालांकि, कार्बन डेटिंग से काल निर्धारण होना शेष है।-डॉ. सुजीत नयन, पुरातत्व अधीक्षक (खनन),पटना

Source : Hindustan

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