बिहार और बिहारी, ये दो शब्द कई के दिलों की धरकन और कई इसे बस गाली के तौर पर प्रयोग करते हैं, आज़ादी के इतने सैलून और सिंगल इंजन डबल इंजन सरकारों के बावजूद बिहार में आज तक किसी भी सरकार ने आमूलचूल परिवर्तन नहीं किया, नितीश कुमार जी के पहले 5 साल में लगा था की बिहार वाकई बदलेगा मगर वो वादे दावे भी कहीं खो गए और हम सब बिहारी आपस में जात पात धर्म के लिए ही लड़ते रह गए, इस बार भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के मेनिफेस्टो में बिहार के बारे में कुछ विशेष नहीं दिखा और बीमारू राज्यों की श्रेणी में सबसे ऊपर आयने वाले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे कर कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही है.

इस लोकसभा चुनाव तथा अगले विधानसभा चुनाव के लिए समस्त बिहार वासी, कृपया मुखर होकर अपने – अपने निजी स्वार्थ को छोड़ते हुए ऐसी मांगें रखें की हमारे नेता जी लोगों को बिहार को विकसित बनाने हेतु वाकई में मेहनत करनी पड़े और जनता हर साल उनसे उनके काम का हिसाब ले, साथ ही अधिक से अधिक वोट इन मांगों के नाम पर ही दें.

इनमे से कुछ मांगें एक साल में पूरी हो सकती हैं कुछ के लिए कई साल लगेंगे पर मांगेंगे ही नहीं तो कुछ मिलेगा ही नहीं, आजादी के 75 साल से अधिक हो गये और बिहार को बदहाली से मुक्ति के लिए हमने बिहार के विकास हेतु 75 मांगे रखी हैं, मांगों की इस लिस्ट में अपनी राय और मांग भी रखें और सभी प्रत्याशियों से भी इसे साझा करें :

Sharda Heritage- Marriage Hall , Banquet Hall Muzaffarpur

1. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देते हुए अगले 5 साल तक केंद्रीय मद से हर साल 1 लाख करोड़ के अतिरिक्त प्रोजेक्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, पर्यावरण, परिवहन और रोजगार के लिए.

2. कटिहार और सासाराम में बिहार स्पेशल इकॉनॉमिक जोन्स की स्थापना 500 एकड़ ज़मीन पर नदियों के आसपास करना तथा सड़क, जल अवं रेल मार्ग से कनेक्ट करते हुए इन जगहों को प्लग एंड प्ले हब के रूप में विकसित करना, उद्योगों को करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, जिन्हें करमुक्त निवेश योजनाओं के साथ. साथ ही, फूलपारस, शिवहर, लखीसराय, और महराजगंज में 100 एकर में मिनी स्पेशल इकनोमिक जोन की स्थापना करना, सभी स्पेशल इकनोमिक जोन में 100 करोड़ या उसके ऊपर 1000 करोड़ तक की इन्वेस्टमेंट पे अगले 5 साल तक 50% टैक्स छुट, हज़ार करोड़ के ऊपर के निवेश पर अगले 10 साल के लिए 75 टैक्स छुट और दस हजार करोड़ के ऊपर निवेश करने पर अगले 10 साल के लिए 100 % टैक्स छुट , इसके साथ ही 20 करोड़ के ऊपर की निवेश पर चौबीस घंटे चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था पांच साल तक मुफ्त.

3. एक ओर जहाँ पडोसी राज्य उत्तरप्रदेश में एक्सप्रेसवे का जाल बिछ रहा है वह बिहार में आज तक एक भी एक्सप्रेसवे नहीं है, सभी प्रोपोसड एक्सप्रेसवे को ज़मीन पे उतरने के अलावा बिहार को कमसे कम निम्नलखित एक्सप्रेसवे चाहिए:

बिहार ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की 6-लेन निर्माण किया जाए, जो देवघर, बांका से गलगालिया (बिहार नेपाल पश्चिम बंगाल सीमा) तक जाएगी, और एक मनीहारी स्पर को बनाया जाए ताकि नए मनीहारी साहिबगंज़ ब्रिज से जुड़ा जा सके, यह सड़क दक्षिण भारत से उत्तर-पूर्व और नेपाल को कनेक्ट करते हुए अच्छा रिटर्न दे सकती है. कृपया सभी एक्स्प्रेसवे के निर्माण में भू अधिग्रहण और बड़े पुलों का निर्माण इस प्रकार करें की भविष्य में दोनों तरफ से एक एक लेन हाईवे और एक लेन यूटिलिटी वे अथवा हाई स्पीड रेलवे का निर्माण हो सके.

4. बिहार के बेलदुरिया (यूपी बिहार झारखंड सीमा के पास) से नेपाल,पश्चिम बंगाल सिमा के पास गलगलिया तक एक 6 लेन एक्सप्रेसवे तथा जिसके स्पर सिंगरौली, और दूसरा स्पर बागडोगरा एयरपोर्ट को कनेक्ट करता हो, यह बिहार के लिए राजस्व उत्पन्न करने के लिए एक गेम चेंजर हो सकता है और इससे, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी झारखण्ड, मध्य प्रदेश, खरखण्ड छत्तीसगढ़ को उत्तरपूर्व के साथ सीधे कनेक्टिविटी मिल सकती है और बिहार को बहोत सारा टोल टैक्स और व्यापार.

5. नवादा- गोपालगंज-पूर्णिया -नवादा ट्राई एंगुलर एक्सप्रेसवे.

6. उत्तर और दक्षिण बिहार में 100 स्थानों की पहचान एवं पुल सह अप्रोच रोड का निर्माण जहां लोगों को एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक या पड़ोसी जिले तक पहुंचने के लिए बहुत दूर घूम के जाना पड़ता है, यह जीवन को बहुत आसान बना सकता है.

7. देओरिया पूर्व से मसरख, अरेराज से गोपालगंज, कटिहार से मुजफ्फरपुर, शिवहर से मुजफ्फरपुर, बरौनी से सहरसा, सहरसा से विराटनगर, सुपौल से समस्तीपुर, गया से उत्तर प्रदेश के रॉबर्ट्सगंज, आरा से छपरा, नरकटियागंज से सीतामढ़ी, भागलपुर से मधुबनी को जोड़ने के लिए 4 लेन की सीधी सडकों का निर्माण क्यूंकि वर्तमान में या तो सड़के मौजूद नहीं हैं या सड़के बहोत सकरी और घुमावदार हैं.

8. बिहार से करोड़ों लोग रेल में सफर करते हैं परन्तु आज भी बिहार कई बड़े शहरों से सीधे तौर पे नहीं जुड़ा है इसलिए अतिशीघ्र इन रेल मार्गों पे स्लीपर वन्दे भारत जैसी ट्रेन का परिचालन शुरू हो पटना से मंगलोर, पटना से कन्याकुमारी, पटना से गोवा, सीतामढ़ी से गोवा, रक्सौल से डिब्रूगढ़, सहरसा से कोयम्बटूर, रक्सौल से जगन्नाथ पूरी, किसनगंज से देहरादून, किसनगंज से गोवा, मुजफ्फरपुर से हुबली, रक्सौल से पुणे, भगालपुर से पुणे, भागलपुर से चेन्नई, मोतिहारी से नागपुर, मोतिहारी से विशाखापट्नम.

9. दरभंगा, रक्सौल, जयनगर,पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा, गया, पटना, जमुई और बेगूसराय से दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, मंगलोर, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, और गुवाहाटी के लिए एक एक जोड़ी नई डबल डेकर स्लीपर ट्रेन और फूल AC ट्रेन का सञ्चालन शुरू करना.

10. बिहार में रेल कनेक्टिवटी को बेहतर करने हेतु तथा पूर्वोत्तर से देश के बाकि हिस्से में और तेज गति से रेल सेवाएं उपलब्ध करवाने हेतु निम्लिखित नए रेल लाइनें बिछाना अत्यावश्यक है फारबिसगंज से लक्छमीपुर, मनिहारी से साहेबगंज, सहरसा से दरभंगा मुजफ्फरपुर होते हुए सिवान, अरेराज से थावे, छपरा से आरा, सासाराम से ओबरा, नौगछिया से भागलपुर, सुपौल से समस्तीपुर, बेतिया से टमकुही रोड, सीतामढ़ी से सुल्तानपुर.

11. राज्य के सबसे ज्यादा भीड़ वाले 5 शहरों में 3-3 उसके बाद के 10 शहरों में 2-2 अवं अन्य सभी शहर में एक, शहर के मुख्य मार्केट में 5 फ्लोर की मल्टी लेवल पार्किंग जिसमे एक बार में कमसे काम 300 कार तथा 700 दोपहिये वाहन पार्क किये जा सके, ऐसे 5 पार्किंग का निर्माण राजधानी क्षेत्र में भी हो तथा इन सभी पार्किंग की छत पे फ़ूड कोर्ट, सिनेमा हॉल और होटल बनाये जाएँ, इसी क्रम में राज्य भर में 1000 किमी की सबसे व्यस्त सड़कों पे चौराहों से 200 मीटर छोड़ के पुरे 1000 किमी सड़क को दोनों ओर से 2 मीटर चौरा करते हुए पेड पार्किंग स्पॉट और उसके बाद दोनों ओर २ मीटर के फुटपाथ सह साइकिल पथ का निर्माण और सञ्चालन के लिए टेंडर निकाला जाये और सड़क पे पार्किंग और अतिक्रमण को पूरी तरह से बंद करने हेतु नया कानून लाया जाये.

12. राज्य में बाढ़ और सुखाड़ की समस्या से निजात पाने के लिए उत्तर और दक्षिण बिहार के 20 छोटी नदियों को 5 बड़ी नदी से आपस में जोड़ने हेतु 5000 किमी लम्बे और कमसे कम 20 मीटर चौड़े नए नहरों का निर्माण जिनके दोनों किनारे पे 7 मीटर चौड़े कंक्रीट की सड़को और साइड वाल्स का निर्माण भी हो इससे न सिर्फ राज्य में पानी की समस्या ख़त्म होगी बल्कि नया जल और सड़क मार्गों का जाल भी बिछेगा.

13. उत्तर और दक्षिण बिहार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण (मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-हाजीपुर सीमा के पास और नालंदा-गया-नवादा सीमा के पास) जिसमें तक़रीबन 40 विशेषज्ञ विभाग शामिल हो सकते हैं जैसे कि मेडिसिन, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन, नेफ्रोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, त्वचा और वीडी (वेनिरॉलॉजी और डर्मटोलॉजी), एमर्जेंसी मेडिसिन, पेडियाट्रिक्स, पुल्मोनोलॉजी, ईएनटी (ईयर, नोज, एंड थ्रोट), डेंटिस्ट्री, इंटीग्रेटेड मेडिसिन (आयुष सहित), फिजाइएट्री (फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन), पैथोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, हेमेटोलॉजी, सर्जरी, रेडियोलॉजी, एनेस्थेसियोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी, एंडोक्रिनॉलॉजी, रूमेटोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, वैस्कुलर सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, एपिडेमियोलॉजी और इंफेक्शन्स डिजीज, एलर्जी और इम्यूनोलॉजी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन, जेरिएट्रिक्स, स्पोर्ट्स मेडिसिन, पेन मेडिसिन, ट्रांसप्लांट सर्जरी, जेनेटिक्स, और मेंटल हेल्थ (साइकोलॉजी और प्साइकिएट्री) इत्यादि । 50 बेड प्रति विभाग के साथ 100-200 एकर में कैम्पस जिसमें शून्य कार्बन लक्ष्य और 100% कर्मचारी कैम्पस के अंदर निवास करने की व्यवस्था हो.

14. मोबाइल मेडिकल कैम्पर टीम (2 बड़े एम्बुलेंस वाली इकाई) राज्य के 50 सबसे पिछड़े परन्तु सबसे अधिक आबादी वाले ब्लॉक के लिए तथा राज्य में नेशनल हाईवे पे 20 जगह ट्रामा एंड इमरजेंसी मेडिसिन यूनिट का निर्माण जिसके साथ साथ हाईवे पैट्रॉल एंड हेल्प यूनिट भी हो.

15. बिहार राज्य फोरेंसिक मेडिसिन और फोरेंसिक साइंसेस इंस्टीट्यूट: पटना में इसे लगभग 200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ दुनिया के श्रेष्ठ सुविधाओं के साथ श्रेष्ठ पीजी पाठ्यक्रमों के साथ और विभिन्न फॉरेंसिक्स विशेषज्ञताओं में 50 छात्रों को प्रतिवर्ष लिए जा सकता है, इसके साथ ही बिहार खुद का एक लेवल 3 का बायो सेफ्टी लैब भी बना सकता है जहाँ माइक्रोबायोलॉजी की उन्नत पढाई भी हो सके.

16. बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिहैबिलिटेशन और मैनेजमेंट:इसे मोतिहारी या सहरसा में लगभग 200 करोड़ रुपये के साथ निर्माण किया जा सकता है और यह फिजिकल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, प्रॉस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स, स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजी, रिहैबिलिटेशन साइंसेस, हियरिंग इम्पेयरमेंट, हेल्थ इनफॉर्मेशन मैनेजमेंट, हेल्थकेयर मैनेजमेंट, साइकोलॉजी, मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी में यूजी, पीजी, और डॉक्टरेट की पेशेवर शिक्षा देने के लिए इस्तेमाल हो सकता है.

17. कक्षा 5 से लेकर कक्षा 8 तक मौलिक स्वास्थ्य शिक्षा और प्रचार-प्रसार पाठ्यक्रम तथा कॉलेज स्वस्थ्य इमरजेंसी रिस्पौंस कार्यक्रम लागु हो साथ में प्रत्येक हाई स्कूल, और यूनिवर्सिटी में स्वास्थ्य और परामर्श केंद्र बने.

18. सभी शहरों में अर्बन वार्ड हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर -पटना में 100, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, नालंदा, और दरभंगा में प्रति जिला 50, और शेष 32 जिलों में प्रति जिला 20 क्लिनिक्स बनाये जा सकते हैं.

19. 10 सबसे अधिक जनसंख्या वाले जिलों के सदर अस्पताल में 30 बेड आईसीयू और आईसीसीयू इकाइयाँ जिसमे अलग से डॉक्टर तथा एम्बुलेंस की व्यस्था पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर हो: प्रति इकाई के लिए लागत 10 करोड़ हो सकती है, जिसमें सालाना लगभग 100 करोड़ रुपये का रनिंग कास्ट हो सकता है.

20. राज्य में प्रति पांच हजार व्यक्ति पर कमसे कम एक हवलदार, प्रति दस हजार व्यक्ति पर एक सीनियर हवलदार तथा प्रति 20 हजार व्यक्ति एक दरोगा एवं प्रति साठ हजार व्यक्ति पे एक थाना एवं थानेदार तथा प्रति पांच थाने पे एक स्पेशल थाना जिसमे बिहार कमांडो फ़ोर्स के 7 कमांडो की एक टुकड़ी और हिस्घ स्पीड बुलेट प्रूफ वाहन मौजूद हो.

21. राज्य के हर पंचायत तथा हर शहरी वार्ड में दिन रात्रि गस्ती के लिए 10000 बाइक चालक पैट्रॉल दल का गठन जिसमे की दो चालकों की टीम बॉडी CAM तथा बाइक पे ३६० डिग्री CAM रिकॉर्डर अवं रियल टाइम जीपीएस के साथ हो.

22. शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक दो वार्ड पे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक पंचायत में एक महिला सुरक्षा आउटपोस्ट जो 24X7 कार्यशील रहा करें, तथा हर ज़िले में एक विशेष साइबर एवं महिला थाना हो.

23. राज्य के 10000 चौराहों तथा 10000 चौक पे 360 डिग्री व्यू वाले डे नाईट कैमरा इनस्टॉल करना जिसकी निगरानी उनके ब्लॉक स्तरीय कण्ट्रोल रूम तथा ज़िले के निगरानी कण्ट्रोल रूम से हो सके एवं राज्य में कहीं से भी उस कमरे को देखा जा सके.

24. राज्य के 10000 सबसे ज्यादा व्यस्त चौराहों, सडकों और पुलों पे ट्रैफिक कण्ट्रोल तथा मैनेजमेंट आउटपोस्ट की स्थापना जहाँ 24X7 हर वक्त दो दो ट्रैफिक हवलदारों की ड्यूटी तीन शिफ्ट में हो जिसके लिए 60000 ट्रैफिक हवलदारों की बहाली हो.

25. सभी 101 सब डिवीज़न में स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस को सीबीएसई पाठ्यक्रम के साथ खोलना, जिसमें कक्षा 1 से 12 तक की पढ़ाई होगी, जिसमें विश्व-स्तरीय सुविधाएँ और आधारभूत संरचना और शिक्षक हों, प्रति स्कूल में प्रति क्लास में 33 बच्चो का एक सेक्शन हो और ऐसे कमसे कम 3 सेक्शन हो जहाँ बच्चों की एडमिशन पूरी तरह मेरिट के आधार पर की जाये और स्कूल मैनेजमेंट यूनिसेफ, टाटा ट्रस्ट जैसे नामचीन एजेंसी की देखरेख में थर्ड पार्टी के द्वारा सेमी गवर्नमेंट तरीके से संचालित हो पर जहाँ गरीब बच्चों से फी न ली जाये एवं सभी स्टाफ स्टाफ क्वार्टर में ही रहें । प्रति स्कूल के लिए लगभग 10 एकर ज़मीन और ज़मीन के अलावा 30 करोड़ का आवंटन हो.

26. 37 जिलों में कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस को खोलना और पटना में ऐसे 3 कॉलेज जहाँ पे ज़मीन के अलावा 50 करोड़ रुपये प्रति कॉलेज तक आवंटित किये जा सकते हैं, सभी कॉलेज कमसे कम 20 एकर ज़मीन में हों ताकि प्लेग्राउंड लाइब्रेरी हॉस्टल स्टाफ क्वार्टर इत्यादि के लिए भी प्रयाप्त जगह रहे तथा कमसे कम 30 अलग अलग विषयों की बैचलर और मास्टर की पढाई हो सके, इन कॉलेजों में कोई सत्र देरी नहीं होना भी सुनिश्चित किया जाये.

27. 38 जिलों में 40 शहरी स्थानों पर सीएम कॉमन लाइब्रेरी विद डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को खोलना, जिसमें 5 बजे सुबह से से 10 बजे रात तक पढ़ाई की सुविधाएं होंगी, साथ ही 500 पुरुषों और 500 महिलाओं की बैठने की क्षमता होगी, और 100+100 कंप्यूटर्स और 500 साइकिल्स और 500 मोटरसाइकिल्स के लिए पार्किंग की सुविधा होगी। इस प्रकार की एक पुस्तकालय की लागत लगभग 10 करोड़ हो सकती है और तक़रीबन एक एकर ज़मीन का आवंटन किया जा सकता है.

28. बिहार एक्सीलेंस यूनिवर्सिटी खोलना, जिसमें दुनिया के सबसे ज्यादा डिमांड में चल रहे लगभग 100 पीजी पाठ्यक्रम और विभिन्न विशेषज्ञताओं में डॉक्टरेट प्रदान किया जाये । इस कैंपस को वैशाली या बेगुसराई ज़िले में तक़रीबन 100 एकर में बनाया जा सकता है.

29. तक़रीबन हर ब्लॉक में दो के हिसाब से 1000 मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों का निर्माण करना और इन केंद्रों पर आंगनवाड़ी प्रबंधकों की नियुक्ति करना, जो कम से कम मास्टर ऑफ साइंस (न्यूट्रिशन या बाल मनोविज्ञान) में पास हों, और एक बार में कम से कम 100 बच्चों की बैठने की क्षमता होगी। प्रति ऐसे केंद्र के लिए लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च किया जा सकता है, जिसकी कुल लागत लगभग 1000 करोड़ रुपये होगी.

30. प्रत्येक जिले में जिला एकीकृत गर्ल्स हाई स्कूल और कॉलेज हॉस्टल के साथ कमसे कम 20 एकर ज़मीन में खोलना, और पटना में 3 कॉलेज के साथ, प्रति यूनिट के लिए ज़मीन के अलावा लगभग 50 करोड़ का आवंटन किया जा सकता है जहाँ बालिकाएं सीबीएसई तथा UGC के मानकों के हिसाब से वर्ग पांच से लेके ग्रेजुएशन तक विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ विश्वस्तरीय अध्यापिकाओं के के द्वारा पढाई जाएँ तथा सभी प्रकार से खेल कूद सेल्फ डिफेन्स इत्यादि में निपूर्ण हों.

31. सभी जिलों में शिक्षकों, लेक्चरर और प्रोफेसर के लिए के जिला स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र खोलना, जहाँ सभी शिक्षकों, लेक्चरर्स, और प्रोफेसर्स को हर साल अनिवार्य तौर पर १० दिनों के पठन पाठन अपग्रेड कोर्स को करना हों , इन केंद्रों में 500 पुरुषों और 500 महिलाओं के लिए हॉस्टल हो सकते हैं जिन्हे बिना ट्रेनिंग वाले दिनों में युथ हॉस्टल के तौर पर राज्य पर्यटन विभाग चला सकता है.

32. सभी ज़िलों में 1000 महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी हेतु तथा बारहवीं के 1000 बच्चियों को प्रतियोगी परीक्षा निकालने हेतु निशुल्क कोचिंग सेंटर , सभी सरकारी बिल्डिंग तथा सरकारी बस स्टैंड मार्केट यहाँ तक की प्राइवेट मार्केट काम्प्लेक्स में भी कमसे कम दो सार्वजानिक महिला शौचालय तथा महिला कर्मचारिओं तथा अधिकारीयों हेतु अलग से साफ सुथरे शौचालय की व्यवस्था.

33. सीतामढ़ी में माँ जानकी महिला विश्व विद्यालय में 75 UG एवं 50 PG कोर्स सहित आल वीमेन स्टाफ वाला विश्व स्तरीय 100 आकर का रेजिडेंशियल कैंपस जहाँ दुनिया भर की महिला और महिला फैकल्टी ऑनलाइन तथा ऑफलाइन ट्रेनिंग दे एवं ले सकें.

34. राज्य के 38 ज़िलों में 200 डबल डेकर पिंक बस तथा 2000 पिंक इलेक्ट्रिक ऑटो का परिचालन जिसमे कहीं से भी कही का किराया मात्र 10 रुपये हो और जिसे बस महिलाएं ही चलाएं और महिलाये ही जा सके तथा जिनमे CCTV लगा हो एवं हर बस में एक महिला सुरक्षा कर्मी आवश्यक तौर पे हो.

35. बिहार पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन एजेंसी बनाना, जिसमें राज्य, डिवीज़न , जिला, और ब्लॉक स्तर की टीमें होंगी जो सभी पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण संबंधित मामलों के लिए होंगी. प्रत्येक टीम को पोर्टेबल जल, मृदा, शोर, और वायु गुणवत्ता से सम्बंधित परीक्षण इकाइयां समर्पित की जाएगी, और ब्लॉक और जिले के स्तर पर इन प्रदूषणों से से जुड़े प्रदर्शन मॉनिटर्स लगाए जाएंगे तथा सबसे अधिक प्रदुषण एवं आबादी वाले पंचायतों में रोकथाम के उपाए किये जा सकें जसिमे साप्ताहिक एवं मासिक रैंकिंग और बैठकें हो.

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खरीद बिक्री और इस्तेमाल पे पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाना, 95 डेसीबल से ज्यादा के आवाज में स्पीकर्स बजाने तथा रात 10 बजे के बाद कही भी स्पीकर को 70 डेसीबल से ज्यादा पे बजाने पे प्रतिबन्ध लगाना.

36. पटना में बिहार पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन अनुसंधान संस्थान खोलना, जिसमें UG, PG, और PhD के लिए निम्नलिखित पाठ्यक्रमों को शुरू किया जा सकता है –

Environmental Conservation, Disaster Risk Reduction, Environmental Management
Natural Resource Management, Sustainable Development and Disaster Response
Climate Change Adaptation and Mitigation, Community Resilience and Disaster
Response, Sustainable development and Urban Resilience, Environmental
Governance and Laws, Remote Sensing, and GIS for Environmental Monitoring
Environmental Health, Disaster Management, Population Management

37. सभी जलस्रोतों और प्रमुख नालों के लिए 1 लाख फ्लोटिंग प्लास्टिक वेस्ट संग्रहण इकाइयां ताकि नदी और झील का पानी प्रदूषित नहीं हो, इसमें सालाना रखरखाव शुल्क सहित औसतन 1 लाख रुपये का खर्च हो सकता है, इस संबंध में लगभग 1000 करोड़ रुपये का आवंटन किया जा सकता है, इस से जुटाए गए कचरे को अतिरिक्त आय पैदा करने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

38. सबसे अधिक आबादी वाले 7 जिलों के लिए 100 करोड़ रुपये और पटना के लिए 200 करोड़ रुपये का बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए किया जा सकता है, जिसमे सबसे ज्यादा जल संकट वाले कालोनियों में जल संचयन और लघु नदियों पर चेकडैम बनाने के लिए कुल आवंटन 900 करोड़ हो सकते हैं.

39. प्रत्येक ब्लॉक और शहर में 1 एकड़ क्षेत्र में 600 हरित क्षेत्र एको-पार्क बनाना जिसमें ओपन जिम, छोटा तालाब, वर्षा संग्रहण, जॉगिंग ट्रैक, सोलर लाइट्स,साइकिल ट्रैक, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, हर्बल गार्डन, आदि होगा, साथ ही सोइल और वॉटर कंजर्वेशन के लिए नीम, पीपल, बरगद, आम, जामुन, गुलार, अशोक, गुलमोहर, अमलतास, बदाम, और अन्य स्थानीय प्रदेशीय कमसे कम 100 वृक्षों को लगाया जा सकता है यह कार्य 5 करोड़ रुपये के प्रति पार्क की औसत लागत से किया जा सकता है.

40. सभी जिलों में सभी मुख्य चौकों, रेलवे स्टेशन के प्रवेश, बस स्टॉप्स, हाईवे जंक्शन्स आदि पर 500 पिंक बिल्डिंग बनाना, जिसमें शौचालय, बेबी केयर रूम, सेनेट्री पैड वेंडिंग मशीन, 24×7 महिला पुलिस सेवा केंद्र आदि होंगे, जिन्हें पूरी तरह से महिला कर्मचारियों और महिला उद्यमियों द्वारा पूरी तरह से प्रबंधित और संचालित किया जा सकता है, इसकी लागत तक़रीबन एक करोड़ प्रति केंद्र हो सकती है.

41. विभिन्न भीड़ भाड़ वाले स्थलों को चिन्हित कर के पुरे राज्य में बाजार बस स्टैंड, रेलवे प्रवेश आदि पर 250 सुलभ शौचालय बिल्डिंगें बनाना, जिन्हें 24×7 पूरी तरह से भुगतान के आधार पर ऑपरेट किया जाएगा, प्रति इकाई के लिए 2 करोड़ रुपये इस्तेमाल किये जा सकते हैं.

42. पटना-हाजीपुर, हाजीपुर-सोनपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, देहरी ऑन सोन , समस्तीपुर, और भागलपुर में लगभग 1000 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ नदियों में दोनों ओर से 5 किलोमीटर लंबे और 200 मीटर चौड़े नदी किनारे का निर्माण करना, जिसमें 50 मीटर चौड़ा सड़क, 10 मीटर चौड़ा वॉकवे, 5 मीटर चौड़ा साइकिल वे, 5 मीटर चौड़ा बच्चों का मार्ग और 30 मीटर चौड़ा स्ट्रीट वेंडर जोन के साथ, साथ ही नदी की जल गुणवत्ता की मॉनिटरिंग इकाइयों को लगे जाये । इसके अलावा, 2 किलोमीटर की दूरी पर पैदल और 2 व्हीलर क्रॉसिंग ब्रिज हो सकते हैं ताकि नदी के दोनों ओर आने जाने की सुवधा में इजाफा हो.

43. सभी डिवीजनल हेडक्वार्टर्स के लिए मॉडल ISBT का निर्माण, जिसमें 300 बसों प्रति घंटे क्षमता और 300 टैक्सियों और 1000 दो-पहिया गाड़ियों के लिए पार्किंग क्षमता हो। होटल, मल्टीप्लेक्स, पर्यटन सूचना केंद्र और लॉकर रूम, और महिला सहायता डेस्क के साथ. प्रति ऐसा ISBT बनाने में लगभग 200 करोड़ रुपये का खर्च होगा, जिसका सम्पूर्ण बजट 9 डिवीजन में लगभग 1800 करोड़ रुपये होगा.

44. प्रत्येक जिले के रेलवे स्थल के 500 मीटर के भीतर विश्वस्तरीय मल्टीमॉडल परिवहन हब बनाना, जिसमें संभावित मेट्रो स्थल समाहित हो, इसके लिए प्रति ऐसी हब के लिए लगभग 50 करोड़ रुपये कमसे काम आवंटित करना.

45. मुजफ्फरपुर, गया और भागलपुर मेट्रो लाइट के लिए सर्वेक्षण और भूमि प्राप्ति शुरू करना, इसके लिए प्रति ऐसे 1000 करोड़ का आवंटन किया जा सकता है.

46. पटना, मुजफ्फरपुर, सहरसा, भागलपुर, बेतिया और बिहार शरीफ से कोलकाता, रांची, देवघर, सिलीगुड़ी, राउरकेला, वाराणसी, लखनऊ, अम्बिकापुर, सतना, रायपुर, इलाहाबाद, काठमांडू, पोखरा, गुवाहाटी आदि के लिए इंटर स्टेट लक्जरी क्रूज बसें चलाना.

47. दरभंगा से गया तक की हाईस्पीड इंट्रास्टेट रेल कॉरिडोर बनाना, जिसमें मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, पटना, जहांबाद शामिल हों , जिसमें टॉप स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटे हो, इसके लिए सर्वेक्षण और प्रारंभिक भूमि अधिग्रहण के लिए धन का आवंटन करना, इसके लिए लगभग 250 किलोमीटर लंबाई के लिए 2000 करोड़ का आवंटन किया जा सकता हैं.

48. मोतिहारी तथा पूर्णियां में डे नाईट लैंडिंग व्यवस्था के साथ 4 किमी लम्बे रनवे वाला ग्रीनफ़ील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट, साथ ही गंगा नदी में सीप्लेन के लिए भागलपुर पटना और बक्सर में लैंडिंग पोर्ट बनाना.

49. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन को सुगम बनाने हेतु सभी ब्लॉक में एक एकर भूमि में तथा ब्लॉक बस स्टैंड तथा उसके सटे हुए आधे एकर भूमि में ब्लॉक ऑटो स्टैंड बनाया जाये और कोसिस किया जाये की यह स्टैंड हाईवे या रेलवे स्टेशन से सटा हुआ हो तथा ब्लॉक हेडक्वार्टर से कमसे काम दूर हो, इसके साथ ही हर ब्लॉक में ज़िले से और हर जिले में कमसे कम सुबह दोपहर शाम ३ बार सरकारी बस पहुंचे तथा हर पंचायत में दिन में एक बार सरकारी बस पहुंचे.

50. बुद्धिस्ट, सिख, जैन, हिन्दू, सूफी, वन्यजीवन, ऐतिहासिक धरोहर जैसी 7 सर्किट को डेवेलप करते हर सर्किट के अंदर कमसे कम 10 टूरिस्ट स्थल को 1 करोड़ की राशि से डेवेलप करना एवं पटना में 7 अलग अलग आर्किटेक्चर और बिडलिंग वाले बिहार टूरिस्ट सेंटर को बनाना जिसके बीचो बीच एक 20000 लोगों की क्षमता वाला कन्वेंशन सेंटर हो तथा स्टार के आकार में खरे हों और बीच में कन्वेंशन सेंटर जो गोलाकार हो उससे स्काई वाक के माध्यम से उसके छत से मिलते हों, यह पूरा प्रोजेक्ट 6 स्टार होटल के रूप में तक़रीबन 10 एकर भूमि में इसप्रकार बनाया जा सकता है की सभी मुख्य स्थान समीप हों एवं स्वास्थ्य सुरक्षा खाने पिने से लेके शॉपिंग मूवी इत्यादि तक की व्यवस्था इसी सेंटर में हो तथा सातों टावर के होटल में मिला के एक बार में आसानी से 1500 गेस्ट रह सकें, इसके ऊपर तक़रीबन 1000 करोड़ खर्च किये जा सकते हैं.

51. राज्य के 10 बड़े जिलों में 10 करोड़ की लगत से टूरिस्ट होटल एंड कन्वेंशन एंड बिज़नेस सेंटर जिसमे 2000 लोग आराम से आ सकें तथा 150 लोगों को होटल में सोने के लिए कमरे की व्यवस्था हो , इसके साथ ही हर ज़िले में 5 करोड़ की लागत से 3-5 दर्शनीय स्थल को विकसित किया जा सके, बचे हुए 28 जिलों में 1 करोड़ की लागत से कमसे काम दो दर्शनीय स्थल और 1 करोड़ की लागत से 500 लोगों के Liye मिनी ऑडिटोरियम एंड गेस्ट हाउस बनाया जा सके जहाँ एक बार में 50 लोग आराम से सो और खा सकें इतने कमरे और ऐसी व्यवस्था हो.

52. जानकी जन्म भूमि का सीतामढ़ी में 200 करोड़ की लागत से विकास करना तथा सीता राम मंडप एवं जानकी मंदिर का निर्माण करना साथ में एक मिनी एयरपोर्ट बनाना जहाँ से नेपाल और पटना के लिए छोटे हवाई जहाज उड़ाए जा सकें.

53. वाल्मीकि नगर और लव कुश जन्म स्थल को 100 करोड़ से विकसित करना एवं वाल्मीकि नगर, सीतामढ़ी, जनकपुर और अयोध्या के बीच लक्ज़री बस सेवा का उद्घाटन करते हुए लगातार परिचालन करना.

54. 300 करोड़ की लागत से 50 एकर में वैशाली के भग्नावशेषों के आसपास लिच्वि नगर और 50 एकर में लिच्वि यूनिवर्सिटी इस प्रकार से बनाना की पुराने लिच्वि और विश्व के प्रथम गणतंत्र के वैभव को पूरी दुनिया देखने आये और पूरी दुनिया से लोग पढ़ने आएं.

55. इको टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए राज्य में टाटा और महिंद्रा की मदद से पटना में 100, गया में 50 , मुजफ्फरपुर में 30, दरभंगा में 30, भागलपुर में 30, मोतिहारी में 20, नालंदा में 30 वैशाली में 10 समेत कुल 300 इलेक्ट्रिक कैब टैक्सी का परिचालन जिसमे ग्राहकों से पहले 5 किलोमीटर का चार्ज फ्लैट 300 रुपये हो और उसके बाद 10 रुपये प्रति किमी हो, इन गाड़ियों में CCTV तथा जीपीएस भी लगा रहे ताकि यात्री खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करें.

56. राज्य के तीन कोनों, सासाराम, वाल्मीकि नगर और पूर्णिया में एडवेंचर टूरिज्म पार्क को 100 एकर में विकसित करना.

57. राज्य के सभी प्रखंड में १ मेगावाट सौर ऊर्जा सयंत्र की स्थापना तथा कैमूर, अरवल, औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, शेखपुरा, जमुई, बांका और मुंगेर में 50 -50 मेगावाट सौर ऊर्जा सयंत्रो किस स्थापना.

58. राज्य के हर डिवीज़न में भविस्य के ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए एक गीगावाट एनर्जी तक का एक सुपर इलेक्ट्रिक ग्रिड तथा हर सब डिवीज़न में एक 50 मेगावाट का एनर्जी ट्रांसमिशन ग्रिड बनाया जाये.

59. ट्रायल के तौर पे राज्य के सबसे ज्यादा हवादार जगहों पे 1 मेगावाट छमता वाले 10 विंड टरबाइन को इनस्टॉल करना एवं 1KW छमता वाले 1000 मिनी विंड टरबाइन को इनस्टॉल करना.

60. गंगा, गंडक तथा कोसी नदी में एक-एक सोलर कार्गो बोट का ट्रायल.

61. आपदा प्रबंधन के नाम पर बिहार सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है मगर हर साल हम आपदा प्रबंधन में कमजोर जान पड़ते हैं और अरबों की संपत्ति और जीवन का नुकसान होता है, राज्य आपदा प्रबंधन सिर्फ विभाग न होक एक टीम वर्क और रिसर्च का बेहतरीन नमूना बन सकता है और हम देश दुनिया से अलग अलग चीजें सीख सकते हैं, हर ज़िले में SDRF/NDRF टीम के लिए डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर एंड डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट एंड मिटिगेशन सेंटर बनाना.

62. बाढ़, आगजनी, सुखाड़, अति घनी आबादी के कारन मानव जनित समस्या, किसी प्रकार के नक्सल या आतंकी हमले का खतरा इत्यादि को देखते हुए राज्य के 100 सबसे ज्यादा आपदा ग्रसित प्रखंडों का चुनाव करते हुए वहाँ भी डिजास्टर मैनेजमेंट एंड कण्ट्रोल सेंटर बनाना तथा 20 लोगों की तैनाती करना.

63. राज्य के हर ब्लॉक में कमसे कम एक अग्निशमन केंद्र खोलना तथा कमसे कम 1000 नए छोटे फ़ास्ट मूविंग और 200 हैवी अग्नि शमन वाहनों की खरीद के साथ साथ 5000 नए लोगों की नियुक्ति करना.

64. राज्य के हर अनुमंडल में 10000 स्क्वायर फुट का एक कोल्ड चैन और उससे सटा 10000 स्क्वायर फुट को फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाये ताकि लोकल कृषि उत्पादों को लम्बे समाये तक सहेज के रखा जा सके और व्यापर के लायक पैक किआ जा सके.

65. हर पंचायत में कमसे कम एक एकर भूमि में जैविक खेती और उसका जैविक सर्टिफिकेशन सुनिश्चित करवाना.

66. कृषि के बाजार को समझते हुए, बासमती चावल, लीची, आम, मसालों, जैविक चाय, केला, सुगन्धित और आकर्षक फूल तथा फल, ताजा सब्जियों, अमरूद पल्प और कंसेंट्रेट, बायो फ़र्टिलाइज़र तथा कम्पोस्ट, शहद, मखाना, सत्तू, औसधिए पौधे एवं आयुर्वेदिक औषधियां, लकड़ी के खिलौने, रेशम, मिल्लेट्स, कृषि उपकरण, कृषि टेक्नोलॉजी आदि के उत्पाद पर ज़ोर देते हुए इसका वैश्विक निर्यात कर सकते हैं, कार्बन फार्मिंग तथा एग्री टूरिज्म को बढ़ावा देना.

67. राज्य के 5 प्रतिशत शहरी इलाकों तथा 15 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हर वार्ड में फलदार वृक्षारोपण कर कमसे कम 10 % ग्रीन कवर को सुनिश्चित करने का कानून पास करना.

68. बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बांस और इयूक्लिप्टस जैसे पानी सोखने वाले पेड़ नदियों और नालों के दोनों ओर कतार में लगाना (ध्यान रहे की ये पेड़ न सिर्फ बाढ़ राहत अथवा भूमि संरक्षण और व्यापर में भी बढ़ावा देंगे)
बांस और पटुआ से बने उत्पादों को सरकारी कार्यालयों तथा कार्यों में बढ़ावा देना तथा माइनर टेम्पररी कंस्ट्रक्शन में भी इस्तेमाल करना.

69. राज्य के हर प्रखंड में एक एकर क्षेत्र में एक छठ तालाब जिसके चारो ओर से घाट हो और उसके ऊपर सोलर पैनल की सेड लगी हो, यह वर्षा जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, तथा छोटे पार्क सब के रूप में काफी उपयोगी हो सकते हैं एवं यह मत्स्य पालन के लिए भी इस्तेमाल हो सकते हैं.

70. बिहार के 10 सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में इनर तथा आउटर रिंग रोड.

71. बिहार के 15 सबसे अधिक आबादी शहरों के बाहरी किनारों पे ट्रांसपोर्ट नगर तथा राजधानी क्षेत्र में अतिरिक्त 3 मिनी ट्रांसपोर्ट नगर.

72. 100 सबसे जायदा जाम लगने वाले रेलवे फाटकों पे फ्लाईओवर.

73. बिहार के 500 बाढ़ग्रस्त अथवा कटावग्रस्त पंचायतों को बाढ़ से बचाव के हेतु केंद्रीय एजेंसी द्वारा इस प्रकार से तैयार करना की नदी के गाड़ को निकल के उससे तटबंध बनाये जा सकें और तटबंधों को सड़क बना कर और पेड़ पौधे लगा कर पक्का किआ जा सके, सभी पंचायत में ५००० लोगों के रहने लायक ऊँचे और सुरक्षित बाढ़ राहत शिविर बनाये जा सकें जिनका अन्य दिनों में खेलकूद या ग्रामीण कार्यक्रमों के हेतु इस्तेमाल हो सके, इन सभी पंचायतों में साल भर चलने लायक सड़के और सुर ऊर्जा सयंत्र की स्थापना हो. इसी प्रकार 500 सुखार ग्रस्त पंचायतों में हर गांव में वर्षा जल संरक्षण हेतु एक एकर का तालाब और कमसे कम 100 बड़े जल संरक्षण वाले वृक्ष लगाए जाएँ.

74. बिहार के सीमांचल क्षेत्र में एक नई केंद्रीय रिसेर्वे पुलिस की अथवा BSF या CISF की ट्रेनिंग इकाई तथा केंद्रीय विश्वविधालय की शुरुवात.

75. बिहार की नदियों में परिवहन सेवाओं की शुरुआत.

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD