साल 2030 तक सरकार का लक्ष्य सभी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक कर देना है. यानी सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां पेट्रोल या डीजल पर नहीं बल्कि बिजली या बैटरी पर चलेंगी. यह काम तेज भी हो गया है और देश में 10 लाख से ज्यादा बिजली गाड़ियां दौड़ रही हैं. जब बिजली गाड़ियों का प्रचलन बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है कि इसके लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने होंगे. ऐसा भी नहीं है कि सभी चार्जिंग स्टेशन सरकार की बनाएगी. स्टेशन बनाने का काम कुछ निजी हाथों में या बिजनेस के उद्देश्य से भी शुरू होगा. आप चाहें तो इसका हिस्सा बन सकते हैं.

EV Charging: Infrastructure & Future - Infineon Technologies

आप सोच रहे होंगे कि इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन बनाने में भारी-भरकम खर्च आएगा और यह सबके वश की बात नहीं. लेकिन ऐसा नहीं है. कोई आम आदमी भी कुछ पैसे जोड़कर चार्जिंग स्टेशन खोल सकता है और इससे अच्छी कमाई कर सकता है. ऐसे चार्जिंग स्टेशन को ‘लो कॉस्ट एसी चार्जिंग स्टेशन’ या LAC कहते हैं. सरकार इस तरह के चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए सब्सिडी देती है. और भी कई तरह की आर्थिक मदद दी जाती है.

इस दिशा में सबसे पहला कदम जीएसटी को लेकर किया गया है. पहले ईवी चार्जिंग स्टेशन पर 18 फीसदी जीएसटी लगता था जिसे घटाकर 5 परसेंट कर दिया गया है. पहले नियम यह था कि चार्जिंग स्टेशन के लिए अलग से प्लॉट लेनी होती थी और उसी पर स्टेशन बनाने होते थे. अब यह नियम खत्म कर दिया गया है. आप कॉमर्शियल या प्राइवेट किसी भी जमीन पर चार्जिंग स्टेशन बना सकते हैं. इन कदमों के चलते इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन खोलना पहले से आसान हो गया है और ऐसे पॉइंट खोलकर आप ज्यादा कमाई कर सकेंगे.

आपको क्या करना है

आप चाहें तो दोपहिया, तीनपहिया, कॉमर्शियल, प्राइवेट, ट्रक या बस जो बिजली पर चलते हैं, उनके लिए चार्जिंग स्टेशन बना सकते हैं. मुनाफे की बात करें तो दोपहिया, तिपहिया, कॉमर्शियल या प्राइवेट चारपहिया गाड़ियों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने में ज्यादा है.

World's highest EV charging station opens in the Spiti Valley in Himachal Pradesh- Technology News, Firstpost

चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए आपको बिजली का कनेक्शन लेना होगा और एक ट्रांसफर भी लगवाना होगा. ट्रांसफर के साथ जोड़ने के लिए हेवी ड्यूटी केबलिंग करनी होगी. चार्जिंग स्टेशन के लिए सबसे जरूरी है जमीन. अगर खुद की हो तो ठीक नहीं तो लीज पर भी ले सकते हैं. अब चार्जिंग स्टेशन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्टर जैसे शेड, पार्किंग एरिया आदि बनाने होंगे. मुख्य खर्च चार्जिंग टावर बनाने में होता है.

Google Maps now tells you if an EV charging station is in use - The Verge

कितने तरह के होते हैं चार्जर

चार्जिंग टावर दो तरह के होते हैं-एसी और डीसी. डीसी चार्जर फास्ट चार्जिंग के लिए होता है और इसकी कीमत एसी चार्जर से ज्यादा होती है. डीसी सीसीएस 50 किलोवाट का चार्जर लगभग 15 लाख का आता है. कैडेमो 50 किलोवाट का चार्जर है जिसकी कीमत भी 15 लाख के आसपास है. यह भी डीसी चार्जर है. एसी चार्जर बहुत सस्ता होता है जिसमें टाइप-2 22 किलोवाट का चार्जर होता है जिसकी कीमत 1,25 लाख रुपये के आसपास है. ये तीनों फास्ट चार्जर की कैटगरी में आते हैं.

Haldiram Bhujiawala, Muzaffarpur - Restaurant

आपको कौन सा चार्जर लगवाना चाहिए

इससे अलग कैटगरी है भारत डीसी 001 15 किलोवाट का चार्जर है जो 2.5 लाख रुपये में आता है. इसी तरह भारत एसी 001 10 किलोवाट का चार्जर आता है जिसकी कीमत 70 हजार रुपये है. भारत में फिलहाल जो इलेक्ट्रिक कार आदि बिक रही हैं, उनके लिए भारत डीसी और भारत एसी चार्जर सक्षम है. यानी 70 हजार से लेकर 2.5 लाख रुपये के खर्च में ऐसे चार्जिंग स्टेशन बनाए जा सकते हैं. अगर आप भविष्य में ज्यादा कमाई करना चाहते हैं और बस, ट्रक जैसे भारी वाहन चार्ज करने होंगे तो सीसीएस या कैडेमो चार्जर लगाने होंगे.

भारत में अभी 50 किलोवाट से ऊपर की बैटरी की इलेक्ट्रिक गाड़ियां बननी चालू नहीं हुई हैं. इसलिए हेवी चार्जिंग स्टेशन की अभी जरूरत नहीं है. बिजली का कनेक्शन लेने और ट्रांसफर लगाने में कुल 7 लाख का खर्च आएगा. इसके अलावा चार्जिंग स्टेशन का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर 3 लाख का खर्च आ सकता है.

Source : TV9

(मुजफ्फरपुर नाउ के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *