इस वर्ष अच्छी जलवायु के कारण लीची के पौधों में अच्छे मंजर आए हैं। इससे अच्छी फल होने की संभावना है। शाही लीची के पौधों में फल लग चुके हैं। अच्छी पैदावार के लिए इनको बचाना जरूरी है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने लीची फसल की बेहतरी के लिए इस सप्ताह बगान में किए जाने वाले कार्यों का बुलेटिन जारी किया है। बताया कि अगर फल लौंग या मसूर दानों का आकार ले चुका है तो इस सप्ताह किसानों को कई बिन्दुओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
ये हैं
1. पौधों की हल्की सिंचाई करें तथा जड़ में सूखी घास बिछाएं
2. प्लेनोफिक्स 4 मिली. प्रति 10 ली. पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें। इसके सही मात्रा का उपयोग करें, अन्यथा नुकसान होगा।
3. 8-12 वर्ष के पौधों में 350 ग्राम यूरिया व 250 ग्राम पोटाश डाले। 15 वर्ष से ऊपर के पौधों में 450-500 ग्राम यूरिया एवं 250 से 300 ग्राम पोटाश का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनका प्रयोग पर्याप्त नमी होने पर करें।
4. लीची फल को बेधक (बोरर) कीट से बचाने के लिए थीयाक्लोप्रिड 0.75-1.0 मिली/लीटर पानी अथवा थीयाक्लोरपिड 0.3 मिली.+लेमडासालोथ्रिन 0.4 मिली/लीटर पानी में दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें ।
5. अच्छे परिणाम के लिए कीटनाशक के साथ स्टिकर 0.3 मिली./लीटर पानी का प्रयोग करें।
6. बगीचें में फल लगे या बिना लगे सभी पौधों पर छिड़काव करें।