महाराष्ट्र के एक किसान को 512 रुपये किलो प्याज बेचने पर महज 2.49 रुपये का फायदा हुआ है। इस दो रुपये के एवज में सोलापुर के बोरगांव के किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण को चेक जारी किया गया है, जिसे 15 दिनों के बाद ही भुना सकते हैं। उन्हें प्याज बेचने पर महज दो रुपये का फायदा मिलने की बात की काफी चर्चा हो रही है। यही नहीं राजेंद्र तुकाराम अपने गांव से 512 किलो प्याज लेकर 70 किलोमीटर दूर सोलापुर मंडी पहुंचे थे। यहां उनकी प्याज को 1 रुपये प्रति किलो के भाव पर खरीदा गया। इस पर तमाम चार्ज जब काटे गए तो उनका शुद्ध लाभ महज 2.49 रुपये ही दर्ज किया गया।
सस्ता प्याज बिकने से निराश चव्हाण ने कहा, ‘मुझे प्याज पर एक रुपये प्रति किलो के भाव में मिला। इसके बाद एपीएमसी कारोबारी ने ट्रांसपोर्टेशन समेत कई चार्ज के तहत 509.50 रुपये का लिए। इसके बाद बकाया रकम ढाई रुपये ही बची।’ चेक राउंड फिगर में ही जारी किया जा सकता है। इसलिए दो रुपये का चेक ही जारी किया गया है। राजेंद्र तुकाराम कहते हैं कि बीते तीन से 4 सालों में बीज, खाद और कीटनाशकों के दामों में दोगुने तक का इजाफा हो गया है। इस सार मैंने करीब 40 हजार रुपये खर्च किया और तब जाकर 500 किलो प्याज की पैदावार हो सकी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राजेंद्र को दो रुपये का चेक जारी करने वाले मंडी कारोबारी नासिर खलीफा ने बताया कि हमारा पूरा सिस्टम कंप्यूटराइज्ड है। इसलिए राजेंद्र को यह दो रुपये का पोस्टडेटेड चेक जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि भले ही इस अमाउंट की चर्चा हो रही है, लेकिन मंडी में काम की यह सामान्य प्रक्रिया है। हम इतनी छोटी रकम के लिए भी चेक ही जारी कर सकते हैं। इतने कम दाम में प्याज खरीदे जाने की वजह भी उन्होंने बताई है।
खलीफा ने कहा, ‘नीलामी के लिए जो प्याज लाया गया था, उसकी क्वॉलिटी खराब थी। इससे पहले चव्हाण अच्छी क्वॉलिटी का प्याज लाए थे और उसे 18 रुपये प्रति किलो के भाव खरीदा गया था। इसके बाद वह फिर से कुछ प्याज लाए थे, जिसे 14 रुपये में लिया गया। आमतौर पर खराब क्वॉलिटी की प्याज की डिमांड नहीं होती है। इसलिए इसे कम दाम पर खरीदना पड़ता है।’ एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसानों की फसल में आमतौर पर 25 फीसदी हिस्सा ही उच्च गुणवत्ता का होता है। इसके अलावा 30 पर्सेंट मीडियम क्वॉलिटी वाला होता है और बाकी हिस्सा खराब गुणवत्ता का पाया जाता है।
Source : Hindustan