बिहार के समस्तीपुर जिले के छोटे से गांव मोतीपुर में जन्मे वैभव सूर्यवंशी ने वह कर दिखाया जो लाखों युवा सिर्फ सपनों में सोचते हैं। मात्र 13 साल की उम्र में आईपीएल 2025 के मेगा ऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 1.10 करोड़ रुपये में खरीदा। यह सिर्फ वैभव की नहीं, बल्कि पूरे बिहार की सफलता की कहानी है।

संघर्ष से सफलता तक: वैभव सूर्यवंशी के पिता ने ऐतिहासिक IPL डील के बाद बीसीए  अध्यक्ष की प्रशंसा की | From struggle to success: Vaibhav Suryavanshi's  father praises BCA president ...

वैभव के पिता, संजीव सूर्यवंशी, एक साधारण किसान हैं। उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए अपनी जमीन तक बेच दी। 10 साल की उम्र में जब वैभव ने क्रिकेट को अपना सपना बताया, तो उनके पिता ने हर मुश्किल को पार करते हुए उसे पूरा करने की ठानी। खेती की जमीन बेचकर उन्होंने वैभव को कोचिंग दिलाई, हर मैच में ले जाने के लिए घंटों सफर किया, और हर कदम पर उसका साथ दिया।

संजीव सूर्यवंशी का कहना है, “वह अब सिर्फ मेरा बेटा नहीं, पूरे बिहार का बेटा है। उसकी मेहनत ने हमें गर्व से भर दिया है। हमने सब कुछ दांव पर लगाया, और अब उसे इस मुकाम पर देखना मेरी सबसे बड़ी खुशी है।”

वैभव ने 8 साल की उम्र में ही अंडर-16 जिला ट्रायल में अपनी पहचान बना ली थी। 12 साल की उम्र में उन्होंने रणजी ट्रॉफी में डेब्यू कर कई रिकॉर्ड तोड़े। वीनू मांकड़ ट्रॉफी में 5 मैचों में 400 रन बनाकर उन्होंने खुद को एक उभरता हुआ सितारा साबित किया। आज, वह भारतीय अंडर-19 टीम का हिस्सा हैं और अंडर-19 एशिया कप के लिए दुबई में हैं।

आईपीएल ऑक्शन के बाद वैभव की उम्र को लेकर सवाल खड़े हुए। लेकिन उनके पिता ने साफ किया कि वैभव ने साढ़े 8 साल की उम्र में ही बीसीसीआई का बोन टेस्ट पास किया था। उन्होंने कहा, “हमें किसी से डर नहीं है। वह फिर से आयु परीक्षण के लिए तैयार है। यह केवल उसकी कड़ी मेहनत और सच्चाई का प्रमाण है।”

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने कहा, “वैभव की उपलब्धि बिहार के क्रिकेट इतिहास में एक सुनहरा अध्याय है। यह उनकी प्रतिभा और समर्पण का नतीजा है। उनकी सफलता राज्य में क्रिकेट की अपार संभावनाओं को दर्शाती है।”

वैभव सूर्यवंशी की कहानी केवल क्रिकेट की नहीं है; यह त्याग, समर्पण और अदम्य इच्छाशक्ति की कहानी है। उनके पिता का बलिदान, उनकी मेहनत, और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का समर्थन, सभी ने मिलकर यह सफलता लिखी।

वैभव आज हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा हैं, जो बड़े सपने देखने की हिम्मत रखता है। उनकी उपलब्धि ने साबित कर दिया कि संसाधनों की कमी आपके सपनों को नहीं रोक सकती, अगर आपके पास मेहनत और हौसला है।

बिहार का यह लाल अब सिर्फ क्रिकेट का सितारा नहीं, बल्कि उम्मीदों की किरण बन चुका है।

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