मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी हैं अजय निषाद। उनके सामने वीआईपी के डॉ. राजभूषण चौधरी निषाद हैं। मुकाबला आमने-सामने का है। यहां के युवा मतदाता मुखर हैं। हर चुनाव में उठने वाले मुद्दे फिर उठाए जा रहे हैं।

इसबार मुजफ्फरपुर की चुनावी फिजां में मतदाताओं का अलहदा अंदाज दिख रहा है। जातिगत समीकरण टूटते दिख रहे हैं। युवाओं की टोलियां मुखर हैं। खास जाति-वर्ग को अपना वोट बैंक समझने वाले नेताओं के समीकरण इस बार पूरी तरह से बिगड़ जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। धुआंधार तरीके से पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लैस प्रत्याशी और उनके प्रमुख नेताओं की गाड़ियां उन सड़कों पर भी धूल उड़ा रही हैं, जिन्हें पक्की सड़क में तब्दील करने के वादे सभी चुनावों में किए गए। बारिश के दिनों की बात तो छोड़िए, वैशाख महीने में भी चचरी पुल के सहारे दिन गुजारने वाले बाराडीह के छोटेलाल चुनावी चर्चा पर व्यंग्यात्मक लहजे में कहते हैं कि हर चुनावी मौसम में उन्हें मुजफ्फरपुर से हवाई उड़ान का सपना दिखाया जाता है। चचरी पुलों को दिखाते हुए वे कहते हैं कि हकीकत तो यही है। स्मार्ट सिटी का ख्वाब दिखाया जा रहा है, धरातल पर जर्जर सड़क और जाम से बावस्ता होना पड़ रहा। फोर लेन रोड अधूरा है। बागमती परियोजना भी मंझधार में अटकी है। बच्चों के खेल-कूद के लिए अच्छी व्यवस्था नहीं है। शाही लीची के प्रसंस्करण की बात बयानों तक सिमटी है। लहठी उद्योग जयपुरिया लहठी के सामने दम तोड़ने लगा है।


प्रत्याशी अपने काम से ज्यादा अपने नेता के नाम पर मांग रहे हैं वोट

विधानसभा पर किसका कब्जा

  1. मुजफ्फरपुर सुरेश शर्मा भाजपा
  2. कुढ़नी केदार प्रसाद गुप्ता भाजपा
  3. सकरा लालबाबू राम राजद
  4. गायघाट महेश्वर यादव राजद
  5. बाेचहां बेबी कुमारी निर्दलीय
  6. औराई डाॅ. सुरेन्द्र यादव राजद

अजय निषाद, भाजपा

2014 में अजय निषाद यहां से सांसद चुने गए। पिता स्व. कैप्टन जयनारायण निषाद यहां से चार बार सांसद बने। अजय साहेबगंज से भाजपा और कुढ़नी से राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।

डॉ. राजभूषण निषाद, वीआईपी

डॉ. राजभूषण मूल रूप से बेगूसराय के रहनेवाले हैं। रोसड़ा में नर्सिंग होम संचालित करते हैं। तीन वर्ष पूर्व वीआईपी पार्टी के बेगूसराय जिलाध्यक्ष बने। फिर जल्द ही पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।

भाजपा-वीआईपी में सीधी टक्कर, एकमुश्त वाेट किसी काे नहीं

मोदी लहर के बीच हुए 2014 के चुनाव में जीत का सेहरा पहनने वाले अजय निषाद इस बार फिर से भाजपा टिकट पर मैदान में हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के अखिलेश सिंह से उनका सीधा मुकाबला था। इस बार गठबंधन के कारण वीआईपी के खाते में आई इस सीट से डॉ. राजभूषण चौधरी निषाद उन्हें चुनौती दे रहे हैं। दोनों एक ही जाति से हैं। इस कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पिछले पांच साल में ऐसी कोई चर्चित उपलब्धि अजय निषाद के खाते में नहीं आई है, सो हर चुनावी सभा में वह अपनी जीत की बात कम नरेंद्र मोदी को मजबूत करने की बात अधिक करते हैं। कटरा के चामुंडा देवी मंदिर के सामने मिले गायघाट विधानसभा क्षेत्र के बलोर निधि गांव के संतोष यादव कहते हैं कि इस बार यादव वोटरों का एकमुश्त वोट किसी एक पार्टी को मिलने से रहा।

25 साल के इस युवा की बात से बुजुर्ग हरेराम यादव भी सहमत दिखे। कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के सोनबरसा चौक पर सैलून चलानेे वाले ब्रजेश कहते हैं कि पहली बार प्रत्याशी से अधिक प्रधानमंत्री की चर्चा करते सुन रहे हैं। छह मई को मतदान के दिन भले ही यहां के वोटरों के पास 22 प्रत्याशियों का विकल्प होगा, पर यह अभी से साफ हो गया है कि भाजपा और वीआईपी के बीच ही सीधा संघर्ष होगा।

पहचान का संकट

वीआईपी के राजभूषण चौधरी के लिए सबसे बड़ी चुनौती पहचान की है। यूं तो अजय निषाद वैशाली के रहने वाले हैं। लेकिन, चार बार मुजफ्फरपुर के सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. कैप्टन जयनारायण निषाद के पुत्र होने के कारण उन्हें 2014 में बाहरी होने के बाद भी वैसी परेशानी नहीं हुई, जिस तरह राजभूषण झेल रहे हैं। अंतिम समय में टिकट फाइनल होने के कारण भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

2014 लोकसभा

अजय निषाद (भाजपा)

मत 469295

अखिलेश सिंह (कांग्रेस)

मत 246873

जातीय समीकरण

  1. यादव 1.90 लाख
  2. मुस्लिम 2.40 लाख
  3. सवर्ण 3.80 लाख
  4. वैश्य 2.56 लाख
  5. अन्य 5.70 लाख

आंकडे़

कुल वोटर 1730544

पुरुष वोटर 920013

महिला वोटर 807724

इनपुट : दैनिक भास्कर | कुमार भवानंद, मुजफ्फरपुर 

 

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