तिरुवनंतपुरम. केरल सरकार ने सोमवार को पुष्टि की कि 30 जुलाई को 22 वर्षीय जिस व्यक्ति की मौत हुई थी वह मंकीपॉक्स से संक्रमित था. इस तरह देश में मंकीपॉक्स से यह पहली मौत है. राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे को भेजे गए नमूनों में संक्रमण मिला और यह पश्चिम अफ्रीकी संस्करण था. विजयन ने कहा कि 22 जुलाई को राज्य पहुंचा यह व्यक्ति इससे पहले 19 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया था.
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘उसकी (संबंधित व्यक्ति) तबीयत बिगड़ने के बाद उसे 27 जुलाई को त्रिशूर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसके रिश्तेदारों ने यूएई से मिली जांच रिपोर्ट के बारे में 30 जुलाई को अस्पताल के अधिकारियों को सूचित किया.’ जॉर्ज ने कहा कि संबंधित व्यक्ति के परिवार के सदस्यों, दोस्तों, एक सहायक और फुटबॉल खेलने वालों सहित 20 लोग उसके साथ उच्च जोखिम श्रेणी के संपर्क में आए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक उच्चस्तरीय राज्य चिकित्सा बोर्ड द्वारा विस्तृत जांच की जाएगी. जॉर्ज ने रविवार को कहा था कि मरीज युवा है और उसे कोई अन्य बीमारी या स्वास्थ्य समस्या नहीं है तथा इसलिए स्वास्थ्य विभाग उसकी मौत के कारणों की जांच कर रहा है.
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है.
बीमारी के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान अब तक मौत के तीन मामले (2 स्पेन में और 1 भारत के केरल में) सामने आएं हैं.
संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है.
Source : News18