डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के तकनीकी सहयोग से बैद्यनाथ धाम में चढऩे वाले बेलपत्र और फूल से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव के निर्देशन में वैज्ञानिकों की एक टीम देवघर गई थी। वहां बाबा पर चढऩेवाले फूल और बेलपत्र का निरीक्षण किया।

वैज्ञानिकों ने इसमें पाया कि इनसे बहुत ही बेहतर व उत्कृष्ट जैविक खाद बनाई जा सकती है। इसके लिए टीम ने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र को इसमें शामिल किया। बाबा मंदिर से निकलने वाले फूल, बेलपत्र व जल ले जाने वाले डिब्बे को अलग-अलग कर कृषि विज्ञान केंद्र ले जाया जाएगा। वहां श्रेडर मशीन के माध्यम से कचरे को हटाकार खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे आनेवाली आमदनी को बैद्यनाथ वाटिका व बाबा मंदिर को सौंप दिया जाएगा।

श्रद्धालुओं को मिलेगा तुलसी का पौधा

मंदिर में भक्तों द्वारा जो फूल व बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं, उनके बदले खाद से हुई आमदनी और तकनीक के प्रचार-प्रसार के लिए हर एक भक्त को एक गमले में उसी खाद को रखकर तुलसी का पौधा रोप कर उपहार दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में विज्ञान विभाग भोपाल का भी सहयोग लिया जा रहा।

देवघर में स्थित अनुकूल चंद्र संस्थान में अनुसंधान के तौर पर इस तकनीक को लगाया गया है जो काफी सफल है। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डॉ. शंकर झा ने बताया कि रासायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग से मृदा के स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ा है। उसे यह जैविक खाद नया जीवन देगी।

ऐसे बनेगी खाद

मृदा वैज्ञानिक ने बताया कि 70 किलोग्राम फूल व बेलपत्र में 30 से 35 किलो गोबर मिलाया जाएगा। इस एक टन खाद में दो केजी उत्तम नस्ल के केंचुए छोड़े जाएंगे, जिससे 70 से 80 दिनों में 40 किलो जैविक खाद तैयार होगी। कुलपति ने बताया कि जिस अवशेष को हम नष्ट कर देते थे, उसी अवशेष से उत्तम खाद बनाई जाएगी। इस तकनीक से पर्यावरण में स्वच्छता के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद है। किसानों को भी फायदा होगा।

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Input : Dainik Jagran

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