आर्थिक सुधारों के प्रणेता मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई, पंचतत्व में विलीन हुए पूर्व प्रधानमंत्री
पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के प्रणेता डॉ. मनमोहन सिंह का शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
डॉ. सिंह के पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया, जहां सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बाद में, कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता “जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा” और “मनमोहन सिंह अमर रहें” जैसे नारे लगाते रहे।
92 वर्षीय डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर की रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच उनके स्मारक को लेकर चर्चा तेज हो गई। सरकार ने स्पष्ट किया कि उनका समाधि स्थल ट्रस्ट बनाकर स्थापित किया जाएगा।
1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए डॉ. सिंह ने उदारवादी आर्थिक नीतियां लागू कीं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली। 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वे रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्यरत रहे। उनके योगदान ने देश की अर्थव्यवस्था और नीतिगत ढांचे को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।