सहारा ग्रुप के निवेशकों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल जल्दी ही उन्हें अपना फंसा हुआ पैसा वापस मिल सकता है. सहारा-सेबी फंड (Sahara-Sebi Fund) में 24,000 करोड़ रुपये जमा हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इसमें से 5,000 करोड़ रुपये अलॉट कर दिए हैं जिससे कि 1.1 करोड़ निवेशकों के पैसों का भुगतान किया जा सकेगा.
सरकार ने SC में दी थी याचिका
बता दें कि हाल में सरकार ने निवेशकों के पैसों का भुगतान के लिए 5,000 करोड़ रुपये अलॉट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की थी. इस संबंध में सहकारिता मंत्रालय के पिनाक पानी मोहंती द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें कई चिट फंड कंपनियों और सहारा क्रेडिट फर्मों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को राशि का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
सहारा फर्मों के खिलाफ CBI जांच की भी थी मांग
जनहित याचिका में सहारा फर्मों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग भी की गई थी और चिट-फंड कंपनियों के खिलाफ मामले की जांच के दौरान एजेंसी द्वारा अब तक जब्त की गई राशि की मांग की गई थी. जिसका उपयोग निवेशकों को वापस देने के लिए किया जाए.
भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता 18 अन्य विभागों और जांच एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ मंत्रालय के तहत एक हाई लेवल मीटिंग के बाद दायर आवेदन के लिए न्यायमूर्ति एमआर शाह और सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष जनहित याचिका पर पेश हुए थे. इसमें भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय सहित अन्य शामिल थे.
सरकार ने की थी सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट से फंड लेने की मांग
तब सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट नामक एक फंड से 5,000 करोड़ रुपये की राशि लेने की मांग की गई थी, जो अगस्त 2012 में शीर्ष अदालत द्वारा दो सहारा फर्मों – सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निर्देशित करने के बाद बनाई गई थी.
वापस की जा चुकी है ₹138 करोड़ की राशि
आदेश के बाद, सहारा ने ₹15,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया और ब्याज के साथ, राशि ₹24,000 करोड़ हो गई और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन अग्रवाल को रिफंड प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया. दिसंबर 2022 तक, ₹138 करोड़ की राशि वापस कर दी गई थी जबकि ₹23,937 करोड़ की राशि अप्रयुक्त पड़ी थी.
Source : Aaj Tak