बिहार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों एवं विशेष ट्रैफिक आइलेंड्स (जहां सर्वाधिक यातायात होता है) में 33 फीसदी एरिया में ग्रीनबेल्ट विकसित करने के लिए गाइडलाइन जारी की है. इसका मकसद प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण करना है. प्रदेश की आबोहवा को देखते हुए यहां के ग्रीनबेल्ट में 117 प्रजातियों के पेड़ लगाने की अनुशंसा की है.

यह गाइडलाइन मिनिस्ट्री ऑफ इन्वायरमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज (एमओइएफसीसी) के दिशा-निर्देशों के आधार पर जारी की गयी है. ग्रीन बेल्ट डलवपमेंट प्लान बिहार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.

दो कतारों में होंगे पेड़

उल्लेखनीय है कि गाइडलाइन में सुझाव दिया गया है कि ग्रीन बेल्ट दो कतारों में होने चाहिए. एकदम सड़क किनारे वाली पंक्ति में एक से तीन मीटर लंबे पौधे और उसके पीछे वाली पंक्ति में तीन से पांच मीटर ऊंचे पौधे लगाये जाने चाहिए. औद्योगिक क्षेत्रों में 10 मीटर लंबाई के वृक्ष लगाने की अनुशंसा की गयी है.

इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में ही प्रति एकड़ 600 या प्रति हेक्टेयर 1500 पौधे लगाये जाने चाहिए. वर्तमान में राज्य के शहरों में ग्रीन बेल्ट तकरीबन खत्म हो चुके हैं. ग्रीन बेल्ट विकसित करने की जिम्मेदारी वन, शहरी निकाय और औद्योगिक क्षेत्र विकास एजेंसी को उठानी है.

गाइड लाइन में विशेष पौधे या पेड़ों की अनुशंसा की गयी है, जो खास तरह के वायु प्रदूषण को रोकने में सक्षम हैं. उदाहरण के लिए-

सल्फर डाइऑक्साइड : मोरपंखी, पापुलर, आम, ऑक, इमली, चीड़, बांस, कचनार और हल्दू

हाइड्रोजन फ्लोराइड : अमलतास, शीशम, अरु, विलाव, व्हाइट स्प्रोस आदि

ओजोन : चीड़, ब्लेक वाल्नट, ऑक, जुनिपर्स, स्प्रोसेस

डस्ट एंड स्मोक : नीम और आम

Input : Prabhat Khabar

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